संदेशखाली का संदेश खाली ही रहा। जिस देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध को राजनीतिक स्वार्थ के नजरिए से देखा जाएगा, वहां महिलाओं की स्थिति कभी नहीं बदलेगी। क्या अकेले संदेशखाली में ही महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। हमने मणिपुर से लेकर यूपी के घाटमपुर तक अपनी आंखें क्यों बंद रखी हुई हैं। वहां कोई भाजपा नेता महिलाओं के आंसू पोंछने क्यों नहीं जाता। संदेशखाली पर स्तंभकार वंदिता मिश्रा की टिप्पणीः