एक ओर मणिपुर में जहां पिछले दो सालों से जातीय हिंसा और अशांति का साया गहराता जा रहा है, वहीं केंद्र सरकार ने 13 पुलिस थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी अफस्पा को छह महीने के लिए और बढ़ा दिया है। यह कदम 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा। लेकिन सवाल यह है कि आखिर अफस्पा को आगे बढ़ाने की ज़रूरत क्यों पड़ी? और इसे मणिपुर के अलावा कहां-कहां लागू किया गया है? इस फ़ैसले के पीछे की वजहों और इसके असर को समझने से पहले यह यह जान लें कि आख़िर यह अफस्पा है क्या और इस पर विवाद क्यों रहा है।
हिंसाग्रस्त मणिपुर में अफस्पा को छह माह आगे क्यों बढ़ाया गया?
- देश
- |
- |
- 30 Mar, 2025
मणिपुर में हिंसा के बीच AFSPA को आगे के लिए क्यों बढ़ाया गया? सरकार के इस फैसले के पीछे क्या कारण हैं, और इसका राज्य की स्थिति पर क्या असर पड़ेगा? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

अफस्पा क्या है?
सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी अफस्पा 1958 में बनाया गया एक कानून है, जो अशांत क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को व्यापक अधिकार देता है। इसके तहत सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल बिना वारंट के तलाशी ले सकते हैं, गिरफ्तारी कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर गोली चला सकते हैं। साथ ही, केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना इन बलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। इस कानून को शुरू में असम और मणिपुर में लागू किया गया था, लेकिन बाद में यह नॉर्थ-ईस्ट के अन्य राज्यों और जम्मू-कश्मीर में भी फैल गया। मणिपुर में यह 1980 के दशक से लागू है, हालांकि समय-समय पर कुछ क्षेत्रों से इसे हटाया भी गया है।