मणिपुर के इंफाल शहर में मंगलवार को सुरक्षाबलों और छात्रों के बीच भीषण झड़प की खबर है। प्राप्त सूचना के मुताबिक इस झड़प में 40 से अधिक छात्र घायल हो गए हैं।
घायल होने वाले ये छात्र जुलाई में लापता हुए दो छात्र-छात्राओं की हत्या की खबर और उनकी तस्वीरें वायरल होने के बाद आक्रोशित थे।
तस्वीरें वायरल होने के कुछ घंटों बाद इंफाल स्थित स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों ने हत्या में शामिल लोगों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शन कर रही छात्रों की भीड़ पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया है।
सभी घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। घायलों में ज्यादातर लड़कियां हैं। मणिपुर में 23 सितंबर को मोबाइल इंटरनेट पर से प्रतिबंध हटने के बाद इन दो छात्र-छात्राओं के शव की तस्वीरें सामने आयी थी।
यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। इसमें दिखा था कि इन दोनों छात्र-छात्राओं का शव जमीन पर पड़ा है और लड़के का सिर कटा हुआ था। हालांकि इन दोनों के शव अब तक नहीं मिले हैं। अंतिम बार ये दोनों एक दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में दिखे थे। इसके बाद ये गायब हो गए थे। मणिपुर में इस तनाव के कारण सरकार ने स्कूलों को 27 से 29 सितंबर को बंद रखने का आदेश जारी किया है।
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सुबह 11 बजे से ही सड़कों पर उतर आए थे हजारों छात्र
इंडिया टुडे एनई की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को मणिपुर पुलिस ने बताया कि जब सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को यहां मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर बढ़ने से रोकने की कोशिश की तो उनकी पुलिस से झड़प हो गई। घायल प्रदर्शनकारियों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया गया।इससे पहले मंगलवार को 6 जुलाई को लापता हुए दो मेइतेई छात्रों की क्रूर हत्याओं पर विरोध दर्ज कराने के लिए हजारों छात्र सड़कों पर उतर आए।
छात्रों के साथ हुए ऐसे जघन्य अपराध का विरोध करते हुए वे सुबह करीब 11 बजे से ही सड़कों पर उतर आए थे। इसमें बड़ी संख्या में स्कूली छात्र-छात्राएं थे।
उन्होंने राजभवन और फिर सीएम बंगले की ओर बढ़ने की कोशिश की हालांकि, पुलिसकर्मियों ने उन्हें राजभवन से करीब 50 मीटर की दूरी से आगे बढ़ने से रोक दिया। उन्हें रोकने के लिए पुलिस कर्मियों ने कई राउंड आंसू गैस और स्मोक बम दागे।
प्रदर्शनकारियों ने हमें न्याय चाहिए, हम निर्दोष छात्रों की क्रूर हत्याओं की निंदा करते हैं और दोषियों को जल्द से जल्द सजा दो जैसे नारे लगाते हुए आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया।
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दोषियों को पकड़ने के लिए चल रहा अभियान
सूत्रों के मुताबिक जिन दो छात्र-छात्राओं की हत्या की तस्वीरें वायरल हुई हैं उनके हत्यारों को पकड़ने के लिए सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। किशोर उम्र के इन बच्चों की निर्दयता पूर्वक हुई हत्या से मणिपुर में आक्रोश व्याप्त है। सरकार ने लोगों से संयम बरतने की अपील की गई। सरकार ने कहा है कि पुलिस और जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं जल्द ही अपराधियों को पकड़ लिया जाएगा।वहीं मणिपुर में ताजा हिंसा की घटना पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा है कि मणिपुर से और भी चौंकाने वाली खबर है। बच्चे जातीय हिंसा के सबसे अधिक शिकार होते हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करें। मणिपुर में हो रहे भयानक अपराध शब्दों से परे हैं, फिर भी उन्हें बदस्तूर जारी रहने दिया जा रहा है। केंद्र सरकार को अपनी निष्क्रियता पर शर्म आनी चाहिए।
मणिपुर में 3 मई से जारी जातीय संर्घष के बाद से अब तक करीब 175 से अधिक लोग मारे गए हैं। सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं। वहीं हजारों की संख्या में लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। इस हिंसक संघर्ष की शुरुआत तब हुई थी जब जब मैतेई समुदाय एसटी का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था।
इसके बाद भड़की हिंसा में दोनों ही समुदायों के लोग मारे गए हैं। मणिपुर हिंसा पर देश और दुनिया का ध्यान तब गया जब 19 जुलाई को वहां की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो वायरल हुआ था। यह 4 मई की घटना थी। इसके वीडियो ने देश भर में लोगों का आक्रोशित कर दिया था। संसद से लेकर सड़क तक इसका विरोध हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने भी मणिपुर सरकार को फटकार लगाई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कई दिशा निर्देश दिए थे।
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