भारत के प्रधानमंत्री, तृणमूल कॉंग्रेस द्वारा शासित राज्य पश्चिम बंगाल गए हैं। वे वहाँ इसलिए गए हैं जिससे वे संदेशखाली की महिलाओं की पीड़ा को समझ सकें। वहीं दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश के घाटमपुर में दो दलित बहनों का पहले बलात्कार किया गया फिर उन्हे मारकर पेड़ पर लटका दिया गया। पुरुषों द्वारा महिलाओं के खिलाफ किए जा रहे अपराधों और हिंसा का स्तर बढ़ता जा रहा है, समझ में नहीं आता कि इसका अंत कैसे होगा? कनाडियन साहित्यकार और ‘द हैन्डमेड्स टेल’ की लेखक मार्गरेट एटवुड महिलाओं और पुरुषों की सामाजिक स्थिति और वर्चस्व विभाजन को लेकर कहती हैं कि-
संदेशखाली: महिलाओं को अपनी-अपनी राजनीति का दास न बनाएं
- विमर्श
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- 29 Mar, 2025

संदेशखाली का संदेश खाली ही रहा। जिस देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध को राजनीतिक स्वार्थ के नजरिए से देखा जाएगा, वहां महिलाओं की स्थिति कभी नहीं बदलेगी। क्या अकेले संदेशखाली में ही महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। हमने मणिपुर से लेकर यूपी के घाटमपुर तक अपनी आंखें क्यों बंद रखी हुई हैं। वहां कोई भाजपा नेता महिलाओं के आंसू पोंछने क्यों नहीं जाता। संदेशखाली पर स्तंभकार वंदिता मिश्रा की टिप्पणीः