पाँच अगस्त 2019 को लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और उसे राज्य से केन्द्र शासित प्रदेश में बदलने का ऐलान किया था। अब आज क्या बदल गया है कश्मीर में?
जब सिर्फ़ चार महीने के लॉकडाउन से देश ही नहीं, बल्कि राज्यों की भी अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है तो फिर जम्मू-कश्मीर में जहाँ 11 महीने से लॉकडाउन है वहाँ क्या हालत होगी! क्या इसकी कल्पना की जा सकती है?
शेख अब्दुल्ला के बेटे और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. फ़ारूक़ अब्दुल्ला की नज़रबंदी से रिहाई और जम्मू-कश्मीर की अपनी पार्टी के नेताओं की नरेंद्र मोदी और अमित शाह से हुई भेंटों से एक नए अध्याय का सूत्रपात हो रहा है।
अनुच्छेद 370 में बदलाव के तीन हफ़्ते बाद भी जम्मू-कश्मीर में फ़ोन लाइन, इंटरनेट बंद हैं। आवाजाही बाधित है। सरकारी कार्यालय और कुछ स्कूल खुले हैं, लेकिन उपस्थिति न के बराबर है? इसे क्या हालात सामान्य कहेंगे? देखिए 'आशुतोष की बात' में स्वतंत्र रूप से कश्मीर पर विचार रखने वाले सलमान निज़ामी के साथ चर्चा।
अनुच्छेद 370 में फेरबदल के बाद ऐसे हज़ारों लोग हैं जो अपनों से संपर्क तक नहीं साध पा रहे हैं। हज़ारों लोग गिरफ़्तार किए गए। ऐसी रिपोर्टें हैं कि इन्हें गिरफ़्तार कर जम्मू-कश्मीर से बाहर लखनऊ, वाराणसी और आगरा भेजा गया है।
कश्मीर के हालात लगातार चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। सरकार के प्रयास के बावजूद स्थिति क्यों नहीं सुधर रही है? क्या पाकिस्तान और आतंकवाद इसके आड़े आ रहे हैं? देखिए 'सत्य हिंदी' पर 'आशुतोष की बात' में क्या हैं सरकार के सामने चुनौतियाँ।
कश्मीर अभी फ़ौजी गिरफ़्त में है। आधिकारिक सूचना विभाग ने दुनिया के लिए वीडियो जारी किया है: देख लो! कश्मीर में सब कुछ ठीक है। क्या सच में सबकुछ ठीक है? बड़ी तादाद में सेना क्यों तैनात है?
क्या लोकतंत्र का अर्थ बहुमत की तानाशाही है? क्या बहुमत जो खाता-पीता है, जैसे रहता-जीता है, जैसे पूजा-अर्चना करता है, वही सारे देश को करना होगा? पढ़िए, 8 अगस्त 2019 को लिखी नीरेंद्र नागर की टिप्पणी।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया शुरू किए जाने का दुनिया के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने हालात बिगड़ने के संकेत दिए हैं। ‘द गार्जियन’, ‘वाशिंगटन पोस्ट’ जैसे अख़बारों ने लिखा है कि इससे क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा।
अलग-अलग दौर में यात्रा के रूट पर विस्फोट हुए हैं। जानमाल का नुक़सान भी हुआ। पर यात्रा तब भी नहीं रोकी गई। इस बार अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण माहौल के बावजूद यात्रा रोकी जा रही है। क्यों?