कश्मीर के सवाल पर इधर कुछ अच्छी घटनाएँ हो रही हैं। शेख अब्दुल्ला के बेटे और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. फ़ारूक़ अब्दुल्ला की नज़रबंदी से रिहाई और जम्मू-कश्मीर की अपनी पार्टी के नेताओं की नरेंद्र मोदी और अमित शाह से हुई भेंटों से एक नए अध्याय का सूत्रपात हो रहा है। फ़ारूक़ अब्दुल्ला के अलावा भी कई कश्मीरी नेताओं को अब तक रिहा किया गया है लेकिन उनकी रिहाई का ख़ास महत्व है। तीन गिरफ़्तार पूर्व मुख्यमंत्रियों में वह सबसे वरिष्ठ हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में भारत के प्रति गहरी निष्ठा का प्रमाण दिया था। वह आतंकवादियों के प्रति भी काफ़ी सख़्त रहे थे। इसके अलावा अपने राज्य के विकास में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है।