आज ईद है, बकरीद। कश्मीर के वे लोग जो हिंदुस्तान में हैं या उसकी राजधानी में हैं, आज जंतर मंतर पर ईद मनाने इकट्ठा हो रहे हैं। आपको भी दावत दी है। क्या आप उनके साथ ईद मनाएँगे?
कर्फ़्यू में बेबस कश्मीर की दावत, क्या साथ मनाएँगे ईद?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 11 Aug, 2019

इंसानियत सिर्फ़ उनकी नहीं कुचली जाती जिन पर क़ब्ज़ा किया जाता है, जो आततायी हैं उनकी रूह भी मर जाती है। क्योंकि वे अपने लिए सिर्फ़ नफ़रत और बददुआ ही इकट्ठा कर रहे हैं। इस क़ब्ज़े को ख़त्म करना आततायी का वास्तव में ख़ुद को आज़ाद करना है, उसे नहीं जिसके सीने पर वह चढ़ बैठा है।
वे अपने घर-बार से दूर हैं। जाना मुमकिन नहीं और जाना सुरक्षित भी नहीं। कश्मीर अभी फ़ौजी गिरफ़्त में है। आख़िर हिंदुस्तान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ताक़त है! उससे मुक़ाबला आसान तो नहीं।
आपने वह वीडियो देखा होगा जिसमें भारत के तीन सबसे ताक़तवर लोगों में से एक इस कर्फ़्यू के बीच कश्मीर की सड़क पर इत्मिनान से टहल रहा है, खा-पी रहा है, क़ुरबानी के लिए लाए गए मवेशियों की क़ीमत पूछ रहा है। इसे हिंदुस्तान के आधिकारिक सूचना विभाग ने दुनिया के लिए जारी किया है: देख लो! कश्मीर में सब कुछ ठीक है। कश्मीर में अमन है। लोग अमन-चैन से हैं।
हँस-बोल रहे हैं।