बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में राष्ट्रीय जनता दल ने 144 सीटों पर लड़कर सर्वाधिक 23.1 प्रतिशत मत प्राप्त किये और इसे सर्वाधिक 75 सीटें मिली हैं। दूसरी ओर महज एक सीट पीछे रही बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़कर 19.5 प्रतिशत वोट के साथ 74 सीटें जीती हैं।
बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री होंगे, भले इस बार उनकी सीटें बीजेपी के मुक़ाबले बहुत कम हैं। बीजेपी ने सारी अटकलों को ख़ारिज करते हुये कहा है कि चुनाव नीतीश की अगुवाई में लड़ा गया और वही मुख्यमंत्री होंगे।
एनडीए व महागठबंधन के बीच काँटे की टक्कर है, स्थिति पेचीदिगियों से भरी हुई है। इस बीच यह भी ख़बर मिल रही है कि 123 ऐसी सीटें हैं, जहां एनडीए-महागठबंधन के बीच 3,000 से भी कम वोटों का अंतर है।
तीन चरणों में हुए बिहार विधानसभा चुनावों के वोटों की गिनती जारी है। कुल 243 सीटों पर चुनाव हुए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल युनाइटेड की अगुआई में एनडीए एक तरफ है तो तेजस्वी यादव वाले राष्ट्रीय जनता दल की अगुआई में महागठबंधन मैदान में है।
तमाम एग़्जिट पोल यही बता रहे हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की अगुआई वाला एनडीए चारों खाने चित्त होने जा रहा है। यह सवाल पूछा जाएगा कि आख़िर क्या हो गया कि देश के सबसे लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू बिहार में नहीं चला?
आज तक- एक्सिस माइ इंडिया के एग़्जिट पोल से यह तसवीर उभर कर सामने आई है कि जिस बिहार में सबसे ज़्यादा संख्या युवाओं की है, वहां युवा मतदाताओं ने राष्ट्रीय जनता दल और उसके नेता तेजस्वी यादव को सबसे ज़्यादा पसंद भी किया है।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान ख़त्म हो चुका है और इन वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी। लेकिन कई टेलीविज़न चैनलों ने अलग-अलग एजेन्सियों के साथ मिल कर एग़्जिट पोल किए हैं। इनके नतीजे दिलचस्प हैं।
सदियों से दबे वर्ग में सशक्तिकरण की झूठी चेतना पैदा करने की उत्तर प्रदेश और बिहार बड़ी प्रयोगशालाएं रही हैं। साल 2000 की ही बात है, बिहार विधानसभा चुनाव में लालू यादव यादव-बाहुल्य वाले राघोपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे। फिर क्या हुआ?