ऐसा कौन-सा वर्ग है जो येन-केन प्रकारेण अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मसजिद भूमि विवाद को जीवित रखना चाहता है? इस विवाद के लगातार बने रहने से किन्हें और किस तरह का लाभ हासिल होगा?
अगर अयोध्या की विवादित ज़मीन पर मसजिद को दुबारा बनाया जाना संभव ही नहीं है तो फिर बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाख़िल करके आख़िर हासिल क्या करना चाहता है?
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला किस आधार पर दिया? आज की कड़ी में पढ़िए उन लोगों ख़ासकर विदेशी लोगों के यात्रा वृत्तांत के बारे में जो पिछले 500 सालों में अयोध्या आए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में अपना फ़ैसला किस आधार पर दिया? आज हम उनमें से कुछ सबूतों के बारे में बात करेंगे जिनके बल पर कोर्ट ने यह निर्णय किया और जाँचेंगे कि क्या वे सबूत पर्याप्त थे।
श्रीराम जन्म भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद दबे स्वर में यह सवाल उठाया जा रहा है कि इसके बाद क्या वाराणसी और मथुरा के विवादित मसजिदों को लेकर भी आंदोलन शुरू हो सकता है?
क्या अयोध्या में राम मंदिर उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव तक बन कर तैयार हो जाएगा? क्या राम मंदिर बनाने में कामयाबी उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव का मुख्य मुद्दा होगा?
अयोध्या के मंदिर-मसजिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के एकमत फ़ैसले का आधार क्या वाक़ई सिर्फ़ क़ानून है, इसमें आस्था, विश्वास, कथा या इतिहास, किसी भी अन्य पहलू की कोई भूमिका नहीं है?
सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों ने अपनी भूमिका से आगे बढ़कर वह ज़िम्मेदारी भी अपने कंधों पर ले ली है जिसे पूरा करने में इस देश का राजनीतिक नेतृत्व लगातार नाकाम हुआ है।
अधिकतर बड़े अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों ने अयोध्या विवाद पर आए फ़ैसले को प्रधानमंत्री मोदी और उनके दल भारतीय जनता पार्टी के ‘हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे’ की जीत बताया।
क्या पिछले 30 सालों से लगातार झूठ बोला गया कि मंदिर तोड़कर बनी थी मसजिद? ऐसा नहीं है तो फिर अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसले में क्यों कहा कि मंदिर तोड़कर मसजिद नहीं बनाई गई थी? मसजिद ढहाई गई और गर्भगृह में मूर्तियाँ रखी गईं। देखिए सत्य हिंदी पर आशुतोष की बात।