श्रीराम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद दबे स्वर में यह सवाल उठाया जा रहा है कि इसके बाद क्या वाराणसी और मथुरा के विवादित मसजिदों को लेकर भी आंदोलन शुरू हो सकता है? राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जन्मभूमि विवाद पर फ़ैसले के थोड़ी देर बाद ही साफ़ किया कि मथुरा और काशी (वाराणसी) उनके एजेंडे में नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन संघ का काम नहीं। उसका काम चरित्र निर्माण है और आगे संघ यही काम करेगा। मोहन भागवत के इस बयान से धार्मिक स्थलों के विवाद पर पूर्ण विराम लगने की उम्मीद जगती है। लेकिन विश्व हिंदू परिषद का रुख अभी साफ़ नहीं है। राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान ख़ास कर 1992 में बाबरी मसजिद को तोड़े जाने के बाद परिषद का एक नारा था- 'बाबरी मसजिद झाँकी है, काशी- मथुरा बाक़ी है'। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से विश्व हिंदू परिषद के आक्रामक रुख में नरमी दिखायी दे रही है। लेकिन परिषद का अगला एजेंडा क्या होगा, यह तय नहीं है।