श्रीराम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद दबे स्वर में यह सवाल उठाया जा रहा है कि इसके बाद क्या वाराणसी और मथुरा के विवादित मसजिदों को लेकर भी आंदोलन शुरू हो सकता है? राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जन्मभूमि विवाद पर फ़ैसले के थोड़ी देर बाद ही साफ़ किया कि मथुरा और काशी (वाराणसी) उनके एजेंडे में नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन संघ का काम नहीं। उसका काम चरित्र निर्माण है और आगे संघ यही काम करेगा। मोहन भागवत के इस बयान से धार्मिक स्थलों के विवाद पर पूर्ण विराम लगने की उम्मीद जगती है। लेकिन विश्व हिंदू परिषद का रुख अभी साफ़ नहीं है। राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान ख़ास कर 1992 में बाबरी मसजिद को तोड़े जाने के बाद परिषद का एक नारा था- 'बाबरी मसजिद झाँकी है, काशी- मथुरा बाक़ी है'। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से विश्व हिंदू परिषद के आक्रामक रुख में नरमी दिखायी दे रही है। लेकिन परिषद का अगला एजेंडा क्या होगा, यह तय नहीं है।
अयोध्या: अब काशी और मथुरा पर सवाल
- अयोध्या विवाद
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- 11 Nov, 2019

काशी और मथुरा के विवादित स्थल पहले ज़्यादा चर्चा में नहीं रहे। लेकिन अब इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। काशी और मथुरा की मसजिदों को फ़िलहाल 1991 के क़ानून के मुताबिक़ सुरक्षा मिली हुई है, क्योंकि 15 अगस्त 1947 को इन दोनों जगहों पर मसजिदें मौजूद थीं। लेकिन इसके बावजूद इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि राजनीति को भगवान के नाम पर अपने पक्ष में करने की नीयत हमेशा एक नहीं रह सकती है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक