सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर जो फ़ैसला सुनाया उसे मानना और सर झुकाकर मानना तो भारत के हर नागरिक का कर्तव्य है। उसमें किंतु-परंतु का कोई सवाल ही नहीं उठता। मगर आज नहीं तो कल इस फ़ैसले की मीमांसा ज़रूर होगी। सराहना भी होगी तो आलोचना भी हो सकती है।
अयोध्या: नेता जो करने में नाकाम रहे, जजों ने एक झटके में कैसे कर दिखाया?
- अयोध्या विवाद
- |
- |
- 10 Nov, 2019

सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों ने अपनी भूमिका से आगे बढ़कर वह ज़िम्मेदारी भी अपने कंधों पर ले ली है जिसे पूरा करने में इस देश का राजनीतिक नेतृत्व लगातार नाकाम हुआ है।
मेरी राय में सुप्रीम कोर्ट ने बहुत बड़ा काम किया है। यह एक बहुत अच्छा फ़ैसला है। आज जिन पाँच न्यायाधीशों ने यह फ़ैसला सुनाया उन्होंने अपने कर्तव्य का धर्मपूर्वक पालन किया है। आज की परिस्थिति में कोई भी अदालत, कोई भी जज या कोई भी पंचायत इससे बेहतर फ़ैसला नहीं दे सकती थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले में जो विसंगतियाँ थीं उन्हें बख़ूबी दूर किया गया है। विवादित ज़मीन को तीन हिस्सों में बाँटने जैसी बेतुकी सिफ़ारिश को नकारा गया और एक ऐसा हल निकाला गया जिसमें सभी पक्षों को संतुष्ट होने की एक न एक वजह मिल जाए।