पिछली कड़ी में हमने जाना था कि सुप्रीम कोर्ट के सामने हिंदू पक्ष ने धर्मग्रंथों के जो हिस्से पेश किए, उनमें से अधिकतर में राम जन्मस्थान - यानी वह जगह जहाँ राम पैदा हुए थे - के बारे में ठीक-ठीक कोई जानकारी नहीं है। वाल्मीकि जो राम के समकालीन कहे जाते हैं, उनके लिखे रामायण में इस बारे में कुछ नहीं है। तुलसीदास जिनके जीवनकाल (1511-1623 ई.) में ही कथित राम जन्मस्थान पर बाबरी मसजिद बनी (1528 ई.), उनके द्वारा रचित रामचरितमानस या किसी और ग्रंथ में इसके बारे में कुछ नहीं है। यहाँ तक कि गुरु नानक जो 1511-12 के आसपास राम जन्मस्थान पर गए बताते हैं, उनकी जन्म साखियों में भी इसके बारे में कुछ नहीं मिलता। अगर कुछ मिलता है तो संभवतः आठवीं शताब्दी में लिखे स्कंदपुराण के अयोध्या माहात्म्य में कि राम जन्मस्थान विघ्नेश्वर मंदिर के पूर्व में, ऋषि वशिष्ठ के आश्रम के उत्तर में तथा ऋषि लोमश के आश्रम के पश्चिम में स्थित है। इसका अर्थ यह हुआ कि राम जन्मस्थान के पश्चिम में विघ्नेश्वर मंदिर, दक्षिण में वशिष्ठ मुनि का आश्रम और पूर्व में लोमश ऋषि का आश्रम था। लेकिन मुश्किल यह है कि ये मंदिर या आश्रम आज की तारीख़ में हैं ही नहीं।