सियासी गलियारों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए 24 सितंबर से नामांकन भरे जाने हैं और कहा जा रहा है कि गहलोत का नामांकन दाखिल करना तय है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले महीने अशोक गहलोत से कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने का आग्रह किया था। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी चाहते हैं कि अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनें।
इस तरह गहलोत को सोनिया गांधी और राहुल गांधी का समर्थन हासिल है। हालांकि कांग्रेस सांसद शशि थरूर के साथ मुलाकात में सोनिया गांधी ने इस बात को कहा है कि अध्यक्ष पद के चुनाव में वह पूरी तरह तटस्थ रहेंगी।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बने तो राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा। बताना होगा कि अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की चर्चाओं के बाद से ही राजस्थान में उनके सियासी विरोधी सचिन पायलट का खेमा जबरदस्त एक्टिव हो गया है।
2018 में दावेदार थे पायलट
2018 में जब कांग्रेस राजस्थान में सत्ता में आई थी तब पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। लेकिन कांग्रेस ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी थी जबकि पायलट उप मुख्यमंत्री बने थे।
पायलट ने की थी बगावत
साल 2020 में सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ गुड़गांव के मानेसर में स्थित एक होटल में चले गए थे। तब कांग्रेस आलाकमान को दखल देकर सचिन पायलट को मनाना पड़ा था। एक लंबी कवायद के बाद सचिन पायलट के समर्थकों को कैबिनेट में एडजस्ट किया गया था। पायलट के समर्थक लगातार पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग करते रहे हैं।
पायलट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के साथ ही उपमुख्यमंत्री जैसे बड़े पद पर भी थे लेकिन बगावत के बाद उन्हें दोनों पदों से हाथ धोना पड़ा था।
कांग्रेस आलाकमान के लिए सिरदर्द
उसी वक्त से सचिन पायलट के समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग करते रहे हैं और निश्चित रूप से कांग्रेस आलाकमान के लिए भी राजस्थान का मसला एक बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। लेकिन अगर अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बने तो क्या वह इस बात को मंजूर कर लेंगे कि राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी सचिन पायलट को मिले या वह मुख्यमंत्री की कुर्सी को छोड़ने के लिए कोई बड़ी शर्त रखेंगे।
अशोक गहलोत जीवन भर राजस्थान की राजनीति में सक्रिय रहे हैं इसलिए वहां उनके समर्थकों की एक लंबी फौज है। इसके अलावा उनके बेटे वैभव गहलोत भी सियासत में सक्रिय हैं। ऐसे में अशोक गहलोत कांग्रेस हाईकमान से इस बात को सुनिश्चित करना चाहेंगे कि अगर वह केंद्र की राजनीति में जाते हैं तो राजस्थान में उनके बेटे और उनके समर्थकों के सियासी करियर को नुकसान ना पहुंचे।
लेकिन दूसरी ओर सचिन पायलट के समर्थकों का भी जबरदस्त दबाव कांग्रेस हाईकमान पर है। पायलट खेमे को उम्मीद है कि अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे और मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके नेता सचिन पायलट को मिलेगी लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा। क्या अशोक गहलोत राहुल और सोनिया की बात को मानेंगे। क्या वह मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए तैयार होंगे? इन सवालों का जवाब आने वाले कुछ दिनों में मिलेगा।
पायलट ही हैं विकल्प?
लेकिन अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद से हटने की सूरत में कांग्रेस हाईकमान के पास सचिन पायलट के अलावा कोई दूसरा विकल्प दूर-दूर तक नहीं दिखाई देता। पायलट एकदम युवा नेता हैं और बीते कुछ सालों में उन्होंने राजस्थान के कोने-कोने में घूम-घूम कर अपनी पहचान बनाई है। 2018 में कांग्रेस की चुनावी जीत में उनका बड़ा योगदान माना जाता है।
गुर्जर समुदाय का समर्थन
सचिन पायलट के पक्ष में एक बड़ी बात यह है कि वह जिस गुर्जर समुदाय से आते हैं, वह उनके पक्ष में पूरी ताकत के साथ खड़ा है। राजस्थान के साथ ही दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के गुर्जर समुदाय में युवाओं का बड़ा तबका सचिन पायलट को पसंद करता है और उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाहता है।
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