बीजेपी शासित राजस्थान में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों को खंडित करने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे राज्य में तनाव और आक्रोश का माहौल बन रहा है। इन घटनाओं ने न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है, बल्कि सामाजिक सौहार्द पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं। ताजा मामला जयपुर के प्रताप नगर इलाके से सामने आया है, जहां लोक देवता वीर तेजाजी महाराज की मूर्ति को असामाजिक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। इस घटना ने स्थानीय लोगों में व्यापक रोष पैदा किया और इसके पीछे के कारणों पर बहस छिड़ गई है।
28 मार्च की रात को जयपुर के सांगानेर क्षेत्र में प्रताप नगर सेक्टर-3 स्थित तेजाजी मंदिर में वीर तेजाजी महाराज की मूर्ति को अज्ञात लोगों ने तोड़ दिया। यह घटना सुबह सामने आई, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने जयपुर-टोंक रोड को जाम कर दिया, बाजार बंद करवाए और टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल जैसे संगठनों ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की और दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।
सिद्धार्थ सिंह ने क्यों तोड़ी मूर्ति
जयपुर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 10 से अधिक टीमों का गठन किया और 29 मार्च को मुख्य आरोपी सिद्धार्थ सिंह को गिरफ्तार कर लिया। डीसीपी (ईस्ट) तेजस्विनी गौतम के अनुसार, सिद्धार्थ ने पूछताछ में बताया कि वह अपने काम की असफलता से मानसिक रूप से परेशान था और नशे की हालत में मंदिर के पास पहुंचकर मूर्ति को तोड़ दिया। हालांकि, इस घटना ने व्यापक प्रदर्शन को जन्म दिया, जिसमें पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा और 20 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया।

सामाजिक तनाव और धार्मिक असहिष्णुता: कुछ मामलों में इन घटनाओं को धार्मिक असहिष्णुता से जोड़ा जा रहा है। हालांकि, तेजाजी मामले में व्यक्तिगत कुंठा सामने आई, लेकिन कई बार ये कृत्य सामुदायिक तनाव को भड़काने के इरादे से किए जाते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य और नशे का प्रभाव: जयपुर की घटना में आरोपी ने अपनी मानसिक परेशानी और नशे को कारण बताया। यह संकेत देता है कि व्यक्तिगत समस्याएं भी ऐसी घटनाओं को जन्म दे सकती हैं, जो बाद में सामाजिक मुद्दे बन जाती हैं।
सुरक्षा में कमी: मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर अपर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था भी एक कारण हो सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस घटना के बाद धार्मिक स्थलों की सुरक्षा मजबूत करने की मांग की है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएंः इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी। राजस्थान के मंत्री सुमित गोदारा ने इसे सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करार दिया, जबकि कांग्रेस नेता टीकाराम जुल्ली ने इसे आस्था और विरासत पर हमला बताया। अशोक गहलोत ने इसे "अस्वीकार्य" करार देते हुए सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की। वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमितोष परिख ने इसे हिन्दू भावनाओं पर हमला बताया और कठोर कदम उठाने की अपील की।
तमाम घटनाओं ने यह सवाल उठाया है कि क्या ये केवल व्यक्तिगत कुंठा का परिणाम हैं या इसके पीछे कोई सुनियोजित साजिश है। तेजाजी जैसे लोक देवता, जो राजस्थान के किसान समुदाय के लिए विशेष महत्व रखते हैं, उनकी मूर्ति को निशाना बनाना भावनात्मक रूप से संवेदनशील मुद्दा है। पुलिस ने जांच तेज कर दी है, लेकिन समाज और सरकार के सामने चुनौती है कि ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जाए।
हालांकि राजस्थान में मूर्ति खंडन की घटनाएं एक जटिल समस्या का हिस्सा हैं, जिसमें व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनीतिक कारक शामिल हैं। इनका समाधान तभी संभव है जब प्रशासन, समाज और राजनीतिक दल मिलकर काम करें। बेरोजगार युवकों का मोह भंग हो रहा है। नशे करने के बाद वे ऐसे कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
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