हरियाणा के बाद दिल्ली में भी गठजोड़ टूटने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि अकाली-बीजेपी गठबंधन औपचारिक रूप से अब कितने दिन तक रह पाएगा और इसे बाक़ायदा तोड़ने की पहल कौन करेगा? यदि यह गठबंधन टूटता है तो महाराष्ट्र में शिवसेना और झारखंड में आजसू के बाद पंजाब में यह तीसरा दल होगा जो बीजेपी से ख़ुद को अलग कर लिया होगा। बीते 22 सालों से अकाली-बीजेपी साथ हैं। भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के बीच पति-पत्नी जैसा अटूट रिश्ता बताया जाता रहा है, लेकिन अब नौबत तलाक़ तक आ गई है।

अकाली-बीजेपी गठबंधन अब कितने दिन तक रह पाएगा? यदि यह गठबंधन टूटता है तो महाराष्ट्र में शिवसेना और झारखंड में आजसू के बाद तीसरा दल होगा जो बीजेपी से ख़ुद को अलग कर लिया होगा।
गठबंधन विधिवत तोड़ने की पहल न करने की दोनों दलों की अपनी-अपनी मजबूरियाँ और राजनीति है। वैसे, दोनों पार्टियों के कतिपय नेता वेंटिलेटर पर आए इस रिश्ते को ज़िंदा रखने की कवायद अभी भी कर रहे हैं। बेशक 'गठबंधन धर्म' तो तार-तार हो ही चुका है। शिरोमणि अकाली दल की कमान बादल घराने के हाथों में है और अकाली सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल की बहू तथा प्रधान सुखबीर सिंह बादल की पत्नी और बादलों के ख़ास सिपहसालार बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की बहन हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री हैं। यही सबसे बड़ी वजह है कि बादल कुनबा तमाम अंतर्विरोधों और फ़ज़ीहत के बावजूद बीजेपी को अंतिम अलविदा नहीं कह पा रहा है। इसके पीछे सत्ता मोह के अलावा भी बहुत कुछ है।