पंजाब में अपने परिवार की भुखमरी की स्थिति से तंग आकर एक प्रवासी मज़दूर ने शनिवार देर रात फंदा लगाकर ख़ुदकुशी कर ली। उक्त मज़दूर कोरोना वायरस के बाद लागू लॉकडाउन और कर्फ्यू के बाद बेरोज़गार था और परिवार के सामने कुछ दिनों से भूखों रहने के हालात थे। मृतक की पहचान 38 वर्षीय अजीत राय के रूप में हुई है और वह महानगर लुधियाना की राजीव गाँधी कॉलोनी में किराए के मकान में रहता था। राज्य में यह कोरोना वायरस के बाद उपजे हालात के बाद इस क़िस्म की ज़ाहिर हुई पहली घटना है।
अजीत राय की पत्नी ने उनकी ख़ुदकुशी के लिए पंजाब सरकार और पुलिस-प्रशासन को सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराया है। मृतक की पत्नी के मुताबिक़ अजीत पिछले कई दिनों से राशन की गुहार लेकर पुलिस थाने जा रहे थे और वहाँ से लगातार बेइज़्ज़त होकर खाली हाथ लौट रहे थे। उन्हें यह कहकर भगा दिया जाता था कि अब प्रवासी मज़दूरों के लिए अनाज का कोटा ख़त्म हो गया है। बता दें कि राज्य सरकार ने ज़रूरतमंद लोगों के लिए प्रावधान किया हुआ है कि जिन्हें अनाज या बना-बनाया खाना अथवा लंगर चाहिए तो वे अपने-अपने इलाक़े के पुलिस स्टेशनों से संपर्क करें। पत्नी के अनुसार रोज़ हो रही फ़ज़ीहत, भुखमरी की नौबत तथा बदतर हालात ने अजीत राय को मानसिक तौर पर पूरी तरह तोड़ दिया था और उन्होंने शनिवार की रात फंदा लगाकर ख़ुदकुशी कर ली।
अजीत राय की ख़ुदकुशी की ख़बर के बाद क़रीब 500 मज़दूर मौक़े पर इकट्ठा हो गए और उन्होंने रविवार सुबह तक पुलिस और प्रशासन के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की। प्रदर्शनकारी मज़दूरों का आरोप है कि पंजाब में राशन के बँटवारे में ज़बरदस्त भेदभाव बरता जा रहा है और पंजाब सरकार सीधे तौर पर इस ख़ुदकुशी के लिए गुनाहगार है। प्रदर्शन कर रहे मज़दूरों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और फ्लैग मार्च भी। बाद में मौक़े पर भारी तादाद में कई थानों की पुलिस तैनात कर दी गई है।
आधिकारिक तौर पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी अजीत राय की ख़ुदकुशी की पुष्टि करने से बच रहे हैं। सरकारी कवायद है कि इसे सामान्य मौत बताकर किसी तरह मामला रफा-दफा कर दिया जाए। लेकिन मज़दूर, अजीत राय की पत्नी तथा बच्चे इसे भुखमरी से हुई ख़ुदकुशी ही क़रार दे रहे हैं और अपने इस कथन पर अडिग हैं।
पंजाब से प्रवासी मज़दूर बड़ी तादाद में अपने राज्यों को लौट रहे हैं और साथ में भुखमरी जैसे हालात की बेशुमार कहानियाँ भी लेकर जा रहे हैं। हालात का इशारा साफ़ है कि शायद अजीत राय से पहले भी कुछ मज़दूरों ने लॉकडाउन और कर्फ्यू के दौरान बेरोज़गारी तथा भुखमरी के चलते ख़ुदकुशी की होगी। पंजाब में उद्योग-धंधे सशर्त खोलने की इजाज़त दे दी गई है लेकिन कई इकाइयों ने काम बंद रखने का फ़ैसला किया है। ऐसे में ज़्यादातर प्रवासी श्रमिकों में फैला बेरोज़गारी का वायरस बदस्तूर कायम है। प्रवासी मज़दूरों की घर वापसी के लिए विशेष ट्रेनें चली हैं लेकिन फौरी तौर पर यह सुविधा सभी मज़दूरों को हासिल नहीं है।
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