पंजाब के आढ़तियों ने 22 से 25 दिसंबर तक राज्य की सभी कृषि मंडियों को बंद रखने का एलान किया है। राज्य के शीर्ष आढ़तियों के घरों, दफ़्तरों और दूसरे ठिकानों पर आय कर विभाग के छापों के ख़िलाफ़ यह फ़ैसला किया गया है। कृषि क़ानूनों के विरुद्ध आन्दोलन कर रहे किसान संगठनों ने इस बंद का समर्थन करने का एलान किया है।
'इंडियन एक्सप्रेस' ने ख़बर दी है कि आयकर विभाग ने पंजाब के शीर्ष 14 आढ़तियों को नोटिस दिया है। इसके अलावा 18-19 दिसंबर को छह के परिसरों पर छापे मारे गए। इन छापों को लेकर भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने कड़ी नाराज़गी ज़ाहिर की है।
आढ़तियों के शीर्ष संगठन फ़ेडरेशन ऑफ़ आढ़तिया एसोसिएशन्स ऑफ़ पंजाब ने आरोप लगाया है कि आढ़तियों को आयकर नोटिस और छापों के जरिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हैं और किसानों के आन्दोलन का भरपूर समर्थन कर रहे हैं। राज्य की कृषि मंडियों को 22-25 दिसंबर तक बंद रखा जाएगा और इस दौरान आयकर विभाग के अफ़सरों का घेराव किया जाएगा। फ़ेडरेशन की बैठक होगी और इसमें आन्दोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।
सिंघु बॉर्डर पर आन्दोलन कर रहे किसान संगठनों ने आढ़तियों का समर्थन करते हुए कहा है कि आयकर विभाग के छापों के ख़िलाफ़ आन्दोलन किया जाएगा। उन्होंने सोमवार को 24 घंटे की भूख हड़ताल का भी एलान किया।
पंजाब किसान मोर्चा के रुल्दू सिंह मन्सा ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, "हम आढ़तियों के साथ हैं, हम आयकर विभाग के अफ़सरों का घेराव करेंगे, उन्होंने छापे के दौरान जो कुछ भी कब्जा किया है, वह किसानों को वापस करना होगा। कृषि क़ानूनों से आढ़तिए भी बर्बाद होंगे, लिहाज़ा, वे भी हमारे साथ हैं। उन पर दबाव डालने के लिए ही उनके यहाँ आयकर के छापे डाले गए हैं।"
इसके साथ ही आढ़तियों ने किसान आन्दोलन में और सक्रिय भूमिका निभाने की तैयारी की है। फ़ेडरेशन ऑफ़ आढ़तिया एसोसिएशन्स ऑफ़ पंजाब के उपाध्यक्ष जतिंदर गर्ग ने कहा है कि पाँच सदस्यों की एक कमिटी गठित की जाएगी जो किसान आन्दोलन के साथ समन्वय करेगी।
कमेटी आन्दोलन में ज़्यादा से ज़्यादा अहम भूमिका निभाने के लिए फ़ैसले लेगी। संगठन के लोग किसान संगठनों के नेताओं से सोमवार या मंगलवार को मिलेंगे।
फ़ेडरेशन के मोगा प्रमुख अमरजीत सिंह ब्रार ने कहा कि पंजाब में 400 से ज़्यादा कृषि मंडियाँ हैं, 40,000 से अधिक आढ़तिए हैं, जिसमें से 28,000 से ज़्यादा के पास लाइसेंस है।
फ़ेडरेशन ऑफ़ आढ़तिया एसोसिएशन्स ऑफ़ पंजाब के अध्यक्ष विजय कालरा ने कहा कि उनके और उपाध्यक्ष के घरों और दफ़्तरों पर 18 दिसंबर को छापे मारे गए। आयकर विभाग के लोगों ने उनके पेट्रोल पंप पर भी छापा मारा। इस छापामारी अभियान में आयकर अधिकारियों के अलावा पुलिस वाले और 50 से अधिक सीआरपीएफ के जवान शामिल थे। उन्होंने काग़ज़ात मांगे, जो उन्हें दे दिए गए। इसके बाद उन्होंने दफ़्तर की चाबी मांगी, चाबी नहीं मिलने पर ताला तोड़ दिया गया।
इसके अलावा पवन गोयल, जसविंदर सिंह राणा, मनजिंदर सिंह वालिया, हरजिंदर सिंह लड्डा और दूसरे सदस्यों के ठिकानों पर भी छापे मारे गए।
फ़ेडरेशन ने कहा है कि यदि आयकर विभाग ने उन पर जुर्माना लगाया तो संगठन चंदा कर उसका भुगतान कर देगी। लेकिन किसान आन्दोलन को समर्थन देना बंद नहीं होगा। उन्हें पहले से अधिक मदद दी जाएगी और इसके लिए ज़रूरी उपाय किए जाएंगे।
बता दें कि कृषि क़ानूनों पर सरकार का कहना है कि वह आढ़तियों जैसे बिचौलियों को हटाना चाहती है ताकि किसान सीधे बड़ी कंपनियों को उचित कीमत पर अपने उत्पाद बेच सकें। लेकिन किसानों का कहना है कि आढ़तियों की महत्वपूर्ण भूमिका है, उन्हें उनसे मदद मिलती है। उनके न रहने से किसान बड़ी कंपनियों पर ज़्यादा निर्भर होंगे और अपने उत्पाद औने पौने दाम पर बेचने को मज़बूर होंगे।
कृषि क़ानून में यह प्रावधान भी है कि निजी क्षेत्र में मंडियाँ खोलने की इज़ाज़त होगी, जहां किसानों को कर नहीं देना होगा। किसानों का कहना है कि इससे मौजूदा मंडियां बेकार हो जाएंगी। आढ़तिए इन मंडियों से जुड़े हुए हैं और उनके हाथ से कामकाज निकल जाएगा, वे नई मंडियों में काम नहीं कर पाएंगे।
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