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अरविन्द केजरीवाल

केजरीवाल को फिर से क्यों कहना पड़ा- दिल्ली में कांग्रेस से गठबंधन नहीं

आम आदमी पार्टी के संयोजक और पूर्व सीएम अरविन्द केजरीवाल ने बुधवार को अपनी पार्टी का यह रुख फिर से दोहराया कि आप दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 अकेले लड़ेगी। केजरीवाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन की कोई संभावना नहीं है।

केजरीवाल ने क्यों दिया बयान

यह सारा विवाद न्यूज एजेंसी एएनआई की एक खबर से फैला। एएनआई केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के प्रति झुकाव के लिए जानी जाती है।एएनआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी कि "कांग्रेस और आप दिल्ली चुनाव में गठबंधन के लिए समझौते को अंतिम रूप देने वाले हैं। कांग्रेस को 15 सीटें मिल सकती हैं, इंडिया गठबंधन के बाकी सदस्यों के लिए 1-2 सीटें और बाकी सीटों पर आम आदमी पार्टी लड़ेगी।" एएनआई ने इसमें न तो कांग्रेस का आधिकारिक पक्ष डाला और न ही आप का आधिकारिक पक्ष बताया। पूरी खबर हवा में बिना किसी पुष्टि थी। इसी वजह से केजरीवाल को यह खंडन एक्स पर जारी करना पड़ा।

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इससे पहले भी 1 दिसंबर को अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए दिल्ली में किसी भी राजनीतिक गठबंधन की संभावना से इनकार करते हुए कहा था, "दिल्ली में कोई गठबंधन नहीं होगा।" लेकिन एएनआई की खबर की वजह से उन्हें सफाई देना पड़ी।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने अपने संभावित सहयोगियों और प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 31 उम्मीदवारों की घोषणा पहले ही कर दी है। 2020 के चुनावों में, AAP ने 62 सीटें हासिल कीं, जबकि भाजपा ने 8 सीटें जीतीं और कांग्रेस पार्टी कोई भी सीट हासिल करने में नाकाम रही थी।

आप की संभावनाएं

2025 के विधानसभा चुनाव में आप की संभावना पहले जैसी नहीं है। अधिकांश राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लगातार कई घोटालों के आरोप लगने और दिल्ली में नागरिक सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार न होने के कारण आप को अगली जीत के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। जैसा कि स्पष्ट है आप किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी तो उसे कांग्रेस से भी इस बार असली खतरा होगा। क्योंकि भाजपा के खिलाफ सीधी लड़ाई की बात अब खत्म हो गई है। बेशक, लोकसभा चुनाव में आप-कांग्रेस गठबंधन को एक भी सीट नहीं मिली थी लेकिन विधानसभा चुनाव के मुद्दे और वोटिंग का पैटर्न अलग होता है। दिल्ली में आप के लिए खोने को ज्यादा है, पाने को कम है। केजरीवाल की मीटिंगों में पहले जैसे उत्साह से आम लोग हिस्सा भी नहीं ले रहे हैं।
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भाजपा की रणनीति

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और आप एक ऐसा खेल खेल रहे हैं, जिसमें कांग्रेस कहीं नहीं है। लेकिन जिन मतदाताओं को टारगेट किया जा रहा है, अगर उन्हें यह संकेत समझ आ गया तो उसमें कांग्रेस को फायदा होगा। हुआ ये कि भाजपा ने सबसे पहले आप पर आरोप लगाया कि उसने बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या मुसलमानों के वोट बनवाए हैं। इसका जवाब आप ने भी दिया। मुख्यमंत्री आतिशी ने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का ट्वीट निकालकर बताया कि रोहिंग्या मुसलमानों को तो मोदी सरकार दिल्ली में बसाती फिर रही थी। दरअसल, यह आप और भाजपा के बीच एक तरह की नूरा कुश्ती है, जिसमें नेरेटिव सेट करने का खेल है। ताकि अगर कांग्रेस इसमें घुसने की कोशिश करे तो उसे नाकामी हासिल हो। लेकिन दिल्ली का मुस्लिम मतदाता अगर भाजपा और आप की नूरा कुश्ती को समझ गया तो फिर कांग्रेस की तरफ रुख करेगा। इसलिए दिल्ली में कांग्रेस की बेहतर संभावनाओं के बारे में कोई शक नहीं है।
(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)
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क़मर वहीद नक़वी
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