वेद प्रताप वैदिक अब नहीं हैं- यक़ीन नहीं आता। कुछ दिन पहले जंगपुरा में हम मिले थे। एक जन्म दिन पार्टी में। उस दिन वे सामान्य नहीं थे। कुछ उद्विग्न थे। हिंदी समाचार पत्रों की भाषा को लेकर दुखी थे। कह रहे थे, "हर अख़बार का मैनेजमेंट तो एक जैसा ही होता है। लेकिन इन पत्रकारों और संपादकों को क्या हो गया है? वे करोड़ों पाठकों को भाषा के नाम पर कैसे ठग सकते हैं?
वेद प्रताप वैदिक: पत्रकारिता में हिंदी के लिए संघर्ष करने वाला चला गया
- श्रद्धांजलि
- |
- |
- 14 Mar, 2023

वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का आज निधन हो गया। जानिए, भारतीय पत्रकारिता में उनके योगदान को और क्यों वह याद किए जाते रहेंगे।
अगर हिंदी का शब्द नहीं हो तो एक बार अँगरेज़ी का शब्द स्वीकार किया जा सकता है। मगर, हिंदी में जब अँगरेज़ी से बेहतर शब्द हैं तो उनका इस्तेमाल क्यों नहीं होता? यदि हिंदी नहीं सूझे तो उर्दू का शब्द उठा लो। वह भी हमारे हिन्दुस्तान से जन्मी है, पर हमारे हिंदी संपादक और पत्रकार सुधरना ही नहीं चाहते"। इसी पर हम देर तक माथा पच्ची करते रहे। यह हमारी अंतिम मुलाक़ात थी। इसके बाद एकाध बार फ़ोन पर बात हुई। पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के रिश्तों के बारे में। अक़्सर हम ऐसे विषयों पर आपस में चर्चा करते रहते थे। अब हमेशा के लिए ये चर्चाएँ थम गई हैं। सिर्फ़ यादों की तस्वीर बाक़ी है।