तो अब यह साफ़ हो गया है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने सत्ता में बने रहने के लिए अपने राष्ट्र के हितों और अंतरराष्ट्रीय मान्य लोकतान्त्रिक सिद्धांतों को ताक में रख दिया है। वे घोषित आतंकवादियों को बचाने के लिए अभिव्यक्ति की आज़ादी की दुहाई दे रहे हैं। उन्हें एक लोकतांत्रिक देश की संप्रुभता मानवीय मूल्य याद नहीं आते।
ट्रूडो- एक नासमझ प्रधानमंत्री की क़ीमत चुका रहा है कनाडा
- विचार
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- 28 Sep, 2023

कनाडा अपने देश में भारत का विरोध करने वाले खालिस्तानी आतंकवादियों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है? आख़िर जस्टिन ट्रूडो क्या चाहते हैं?
यदि उनका यह व्यवहार उचित मान लिया जाए तो जब अमेरिकी कमांडो ने पाकिस्तान में ख़तरनाक आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मारा तब कनाडा ने अमेरिका का विरोध क्यों नहीं किया? अमेरिका के इस प्यारे पड़ोसी को पाकिस्तान की संप्रभुता की चिंता नहीं हुई। यही नहीं, इराक़ के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को जिस तरह मारा गया, वह क्या इराक़ की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं था? इराक़ के बारे में जो ख़ुफ़िया सूचनाएँ इन पाँच देशों ने साझा की थीं, क्या वे ग़लत साबित नहीं हुईं? क्या यह सच नहीं है कि खालिस्तान के लिए कनाडा और ब्रिटेन की धरती से पृथकतावादियों और उग्रवादियों को दशकों से प्रोत्साहन दिया जाता रहा और भारत के ढेरों विरोध पत्रों को कूड़ेदान में फेंक दिया गया?