इंदौर को देश के नागरिक और अप्रवासी भारतीय अलग-अलग शक्लों में जानते हैं पर मालवा का यह ख़ूबसूरत शहर अपनी धुरी पर एक-सा ही है, सिर्फ़ तस्वीरें अलग-अलग हैं। आज की दुनिया के ज़्यादातर लोगों के लिए इंदौर की पहचान भारत के सबसे स्वच्छ शहर के तौर पर स्थापित कर दी गई है। इंदौर को कुछ ज़्यादा क़रीब से जानने का दावा करने वालों के लिए शहर पोहा, जलेबी, कचोरी और स्वादिष्ट नमकीन-मिष्ठान का ठिकाना है। हक़ीक़त का इंदौर ऐसा नहीं है।
डॉ. वैदिक की कमी को इंदौरी दिल से महसूस करना होगा!
- श्रद्धांजलि
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- 20 Mar, 2023

असली डॉ. वैदिक वे नहीं थे जो दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के लाउंज, उसके लंच-डिनर हॉल, सार्वजनिक समारोहों या राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय गोष्ठियों में बोलते नज़र आते थे। जानिए, श्रवण गर्ग उनको कैसे याद करते हैं।
इंदौर से जुड़ी जिस कहानी को मैं जानता हूँ वह उस दौर की है जब होलकरों का बसाया हुआ यह शहर आज की तरह ‘स्वच्छ’ तो नहीं था पर तब बहुत ही ‘उज्जवल’ व्यक्तित्व की विभूतियों के कारण दुनिया भर में कहीं ज़्यादा मशहूर था। इंदौर की पहचान के ठिकाने तब खाने-पीने के अड्डे कम थे और वे मकान, गली-मोहल्ले, बस्तियाँ और सड़कें ज़्यादा थीं जिनसे निकलकर प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने दुनियाभर में अपनी शोहरत के डंके बजाए। वर्तमान में कुछ ऐसा हो गया है कि शहर से हस्तियाँ तो कम और नमकीन-मिठाइयाँ बाहर पहुँचकर ज़्यादा नाम कमा रही हैं। किसी ज़माने में शहर से निकली बड़ी-बड़ी हस्तियों के चाहे जितने नामों का मैं उल्लेख करना चाहूँ, कई नाम फिर भी छूट ही जाएँगे।