कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा को 23 फ़रवरी के दिन रायपुर अधिवेशन में भाग लेने जाने से रोकते हुए विमान से उतरवाकर असम पुलिस के हवाले किए जाने के विरोध में जब उनके साथ यात्रा कर रहे पार्टी के अन्य नेता-कार्यकर्ता इंडिगो के पास ही धरने पर बैठ नारेबाज़ी करने लगे तो कुछ मुखर सहयात्री नाराज़ हो गए। इन यात्रियों की नाराज़गी खेड़ा की कथित तौर पर अनुचित तरीक़े और आनन-फ़ानन में की गई गिरफ़्तारी अथवा क़ानून के राज की खुले आम भर्त्सना को लेकर क़तई नहीं थी। न ही वे खेड़ा के प्रति सार्वजनिक तौर पर समर्थन व्यक्त करने की हिम्मत सरकार को दिखाना चाहते थे। इन सहयात्रियों का ग़ुस्सा इस बात को लेकर था कि खेड़ा की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ उनके साथियों के विरोध-प्रदर्शन से विमान के प्रस्थान में देरी हो रही है जबकि रायपुर में घरों पर बच्चे उनका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।
किस जनता के समर्थन से कांग्रेस लड़ना चाहती है सरकार से ?
- विचार
- |
- 29 Mar, 2025
कांग्रेस किस प्रकार की जनता के भरोसे मोदी सरकार से लड़ना चाहती है। सुविधाभोगी और संपन्न लोग कभी भी कांग्रेस के साथ खड़े होकर तानाशाह से नहीं लड़ने जाएंगे। उन्हें अपने आराम में खलल नहीं चाहिए। भारत का राजनीतिक इतिहास यही बताता है। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग का कहना है कि कांग्रेस को अपनी जनता का चुनाव भी बेहतर तरीके से करना होगा, जो हर संघर्ष में उसके साथ खड़ी हो सके।
