एस एन सुब्बाराव का बानवे वर्ष की आयु में 27 अक्टूबर यानी बुधवार को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में निधन हो गया। सुब्बाराव जी की लम्बी जीवन-यात्रा के बारे में उनके सहयोगियों और प्रशंसकों को तो पर्याप्त (या आधी-अधूरी) जानकारी है पर आम नागरिकों को ज़्यादा पता नहीं है। नागरिकों को कई बार व्यक्तियों के चले जाने के बाद ही पूरी जानकारी मिलती है। सुब्बाराव जी के संदर्भ में भी यही हो रहा है। देश में उनके प्रशंसकों का एक बड़ा समूह है पर उसमें अधिकांश की उम्र अब साठ को पार कर गई होगी। उनके साथ मेरा परिचय कोई साढ़े पाँच दशकों तक फैला रहा पर ज्ञात-अज्ञात कारणों से उनका निकटस्थ होने का सौभाग्य नहीं मिल पाया।
सुब्बाराव गांधीवादी तो थे पर आंदोलनकारी नहीं!
- श्रद्धांजलि
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- 29 Oct, 2021

बहुत कम उम्र में (शायद तेरह वर्ष) आज़ादी के आंदोलन में उनके भाग लेने की बात अगर छोड़ दें तो बाद के वर्षों में सुब्बाराव जी आंदोलनों के कभी मित्र नहीं रहे। न ही उन्होंने कभी संस्थाओं के अंदरूनी विवादों में किसी तरह के हस्तक्षेप में रुचि दिखाई। किसी समय गांधी शांति प्रतिष्ठान भी कई तरह के विवादों को लेकर चर्चाओं में रहा पर सुब्बाराव जी ने अपने आपको इन सबसे अलग रखा।
मूलतः कन्नड़ भाषी पर अनेक देसी-विदेशी भाषाओं के जानकार सुब्बाराव जी की विशेषता यही थी कि वे लगातार चलते रहते थे। किसी एक स्थान पर कम और सभी स्थानों पर सदैव उपलब्ध रहते थे। मध्य प्रदेश में मुरेना ज़िले के जौरा में स्थापित अपने महात्मा गांधी सेवा आश्रम के अलावा दिल्ली में दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के होस्टल में भी उनके लिए एक कमरा हमेशा सुरक्षित रहता था। वे नई दिल्ली भी प्रवास पर ही आया करते थे।