क्या हमें कुछ भी स्मरण है कि पिछले साल लॉकडाउन के 233वें दिन कैलेंडर में कौन सी तारीख़ थी? देश में उस दिन क्या चल रहा था? हम क्या कर रहे थे? क्या वह दिन 14 नवम्बर का तो नहीं था-पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन। और सबसे बड़ी बात यह कि क्या इस दिन दिवाली तो नहीं थी? ज़रूर थी। घरों में दीये भी जल रहे थे पर लोगों के दिल बुझे हुए और उदास थे। कोरोना के मरीज़ों का आँकड़ा इस दिन का 87.73 लाख था और दुनिया को (इस दिन तक) देश में मरने वालों की संख्या 1,29,188 (सरकारी तौर पर) बताई गई थी। अस्पताल मरीज़ों से भरे हुए थे। तमाम फ़्रंट लाइन स्वास्थ्यकर्मी पूरी तरह से थक चुके थे, फिर भी काम में लगे हुए थे।
लॉकडाउन के 233वें दिन के बाद की पहली दिवाली!
- विचार
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- 5 Nov, 2021

दुनिया भर में चल रहे सर्वेक्षण बताते हैं कि नागरिक किस कदर थक गए हैं और अपने आपको कितना अकेला महसूस करने लगे हैं! न्यूयॉर्क टाइम्स की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक़, हताशा में डूबे कई अमेरिकी न सिर्फ़ नौकरियाँ ही छोड़ रहे हैं, वहाँ तलाक़ का प्रतिशत भी बढ़ गया है।
हम एक बार फिर दिवाली से रूबरू हैं। हमारे भीतर का लॉकडाउन अभी भी जारी है। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की एक रिपोर्ट पर यक़ीन करें तो भारत में (सरकारी दावे 4.58 लाख के मुक़ाबले) कोरोना के मृतकों की कुल संख्या तीस लाख से ज़्यादा होनी चाहिए। कोरोना ने जिन लाखों परिवारों के किसी न किसी सदस्य को अपना ग्रास बनाया है उनमें से ज्यादातर की यह पहली दिवाली है।