गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ को उसके अंग्रेज़ी अनुवाद ‘टूम ऑफ़ सैंड’ के लिए मिले अंतरराष्ट्रीय बुकर सम्मान के आम तौर पर स्वागत के अलावा जो चित्र-विचित्र क़िस्म की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं, उनमें तीन बातें ध्यान देने योग्य हैं। पहली बात यह कही जा रही है कि इतनी महत्वपूर्ण लेखिका को हिंदी साहित्य और आलोचकों ने उपेक्षित रखा। यह राय रखने वाले लोग दरअसल समकालीन हिंदी साहित्य से क़तई परिचित नहीं हैं। वरना उन्हें मालूम होता कि हिंदी में नब्बे के दशक में उभरे जिन कथाकारों की बहुत सम्मान के साथ चर्चा होती रही है, उनमें गीतांजलि श्री हैं। उनकी पहली तीन कहानियाँ हिंदी की सबसे चर्चित साहित्यिक पत्रिका ‘हंस’ में छपी।
क्या गीतांजलि श्री को हिंदी साहित्य, आलोचकों ने उपेक्षित रखा था?
- साहित्य
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- 30 Jul, 2022

रेत समाधि उपन्यास को बुकर पुरस्कार मिलने पर गीतांजलि श्री पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ क्यों आ रही हैं? क्या हिंदी साहित्य और आलोचकों ने उन्हें अब तक उपेक्षित रखा था? क्या ऐसे लोग गीतांजलि श्री को जानते भी हैं?
उनकी पहली कहानी ‘बेलपत्र’ का दूसरी भाषाओं में अनुवाद हुआ। उनके पहले उपन्यास ‘माई’ को भी ख़ासी प्रशंसा मिली और उसके अंग्रेज़ी अनुवाद को क्रॉसवर्ड पुरस्कार की अंतिम सूची में जगह मिली। इन पंक्तियों के लेखक ने उनकी चार किताबों ‘हमारा शहर उस बरस, ‘वैराग्य’, ‘तिरोहित’, और ‘वहां हाथी रहते थे’ पर चार अलग-अलग टिप्पणियां हिंदी की महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में कीं। उनको सम्मान भी मिलते रहे। पिछले ही महीने, उन्हें एक लाख रुपये के वनमाली कथा सम्मान से भोपाल में सम्मानित किया गया।