भीष्म साहनी के उपन्यास 'तमस' का जो पहला दृश्य है, वह रोंगटे खड़े करने वाला है। हिंदी ही नहीं, दुनिया के बड़े उपन्यासों में भी ऐसा यथार्थवादी दृश्य तत्काल याद नहीं आता। एक तंग अंधेरी कोठरी में रात भर एक सुअर को मारने में जुटा नत्थू इतना वास्तविक है कि उसे प्रतीक बनाने की इच्छा नहीं होती। लेकिन उपन्यासकार की युक्ति में हो या न हो, वह एक प्रतीक भी बन जाता है- उस ग़रीब और दलित का प्रतीक, जो किसी सांप्रदायिक साज़िश में अपनी पूरी बेख़बरी में शामिल कर लिया जाता है।
भीष्म साहनी जैसे हमारी संवेदनशीलता का इम्तिहान लेते चलते हैं!
- साहित्य
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- 10 Aug, 2022

भीष्म साहनी का 8 अगस्त को जन्मदिन था। इसी दिन 1915 में उनका जन्म आज के पाकिस्तान के रावलपिंडी में हुआ था। जानिए बतौर साहित्यकार वह किस रूप में याद किए जाते हैं…
भीष्म साहनी की जगह कोई दूसरा लेखक होता तो शायद सुअर मारने का इतने विस्तार से वर्णन करने से बचता। यह ऐसा प्रसंग है कि आप चाय पीते हुए इसे नहीं पढ़ सकते। वह बस यह उल्लेख करके भी कहानी बढ़ा सकता था कि मुराद अली के इशारे पर नत्थू का मारा हुआ सुअर मस्जिद के सामने फेंका गया और शहर में सांप्रदायिक तनाव फैल गया।