हुस्न का मेयार बदलना होगा, प्रेमचंद की यह पुकार अक्सर उनके बारे में किसी भी चर्चा में गूँज उठती है। लेकिन प्रेमचंद की माँग थी ज़िंदगी का मेयार बदलने की। उनका दौर ही ऐसा था। कह सकते हैं कि लोग महत्त्वाकांक्षी थे। अंग्रेज़ी हुक़ूमत से छुटकारा मिल जाए, इतनी छोटी इच्छा न थी।