हुस्न का मेयार बदलना होगा, प्रेमचंद की यह पुकार अक्सर उनके बारे में किसी भी चर्चा में गूँज उठती है। लेकिन प्रेमचंद की माँग थी ज़िंदगी का मेयार बदलने की। उनका दौर ही ऐसा था। कह सकते हैं कि लोग महत्त्वाकांक्षी थे। अंग्रेज़ी हुक़ूमत से छुटकारा मिल जाए, इतनी छोटी इच्छा न थी।
प्रेमचंद 140 : आठवीं कड़ी : प्रेमचंद की गंगा के प्रति अंतहीन ममता
- साहित्य
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- 2 Aug, 2020

वैज्ञानिक दृष्टि, तर्कशीलता के हामी प्रेमचंद जैसे गंगा की जो तारीफ में कलम तोड़ देते हैं। गंगा को वे जनता की निगाह से देख रहे हैं और इस निगाह के प्रति उनकी ममता का अंत नहीं है। गंगा के प्रति नेहरू का भाव भी जनता का भाव ही है। गंगा पर फ़िल्म बनाने के एडवर्ड थॉमसन के इरादे पर नेहरू उन्हें बताते हैं कि किस कदर गंगा भारत के ज़िंदगी के हर गोशे में समाई हुई है, उसके इतिहास, उसके लोगों के विश्वास, उनकी जीवन दृष्टि से वह अभिन्न है।... प्रेमचंद के 140 साल पूरे होने पर सत्य हिन्दी की विशेष श्रृंखला, आठवीं कड़ी।