‘अज्ञेय की ‘शरणार्थी’ संग्रह की कहानी ‘बदला’ याद है?’ ‘मंदिर और मसजिद’ की चर्चा के बाद आलोक राय ने पूछा। प्रेमचंद को पढ़ते हुए अज्ञेय की याद? जो हिन्दी के पेशेवर पाठक रहे हैं, उनके लिए यह ज़रा अटपटा-सा सवाल मालूम होगा। लेकिन जो साहित्य को ‘ग़ैरविचारधारात्मक’ तरीक़े से पढ़ पाने की सकत रखते हैं वे आलोक राय के सवाल से चौंकेंगे नहीं।
प्रेमचंद 140 : सातवीं कड़ी : हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद-युग की चर्चा क्यों नहीं?
- साहित्य
- |
- |
- 29 Jul, 2020

आत्मा को उल्लास देना और सत्यदर्शी आँखों के लिए शिक्षा की सामग्री जुटाना, यह साहित्य का दायित्व है। सत्य की परिभाषा भी आसान नहीं। प्रेमचंद उसे सत्य नहीं मानते जो प्रेम और सुंदरता के भाव से ख़ाली हो।...प्रेमचंद के 140 साल पूरे होने पर सत्य हिन्दी की विशेष श्रृंखला की सातवीं कड़ी।