उमर अब्दुल्ला नाराज़ हैं। भारत के विपक्ष से, संसद से और अपने आप से। अपने साथ किए गए धोखे से वह नाराज़ हैं। वह क्षुब्ध हैं कि भारत के प्रधान मंत्री से पिछले साल जब उनकी आख़िरी मुलाक़ात हुई थी तो उन्होंने ऐसा कोई इशारा नहीं किया था कि कुछ ही दिनों में जम्मू और कश्मीर की रही-सही स्वायत्तता का अपहरण कर लिया जाएगा और उसके दो टुकड़े कर दिए जाएँगे। उससे स्वतंत्र राज्य का दर्जा छीनकर केंद्रशासित प्रदेश के रूप में उसकी पदावनति कर दी गई, इससे वह अपमानित महसूस कर रहे हैं। गृह मंत्री ने कश्मीर के बारे में संसद में मिथ्या भाषण दिया, इसलिए वह ख़फ़ा हैं। वह मिथ्याचरण जारी है।