सरकार ने अब मॉब लिंचिंग यानी पीट-पीट कर मारने के आँकड़े भी छुपा लिए! नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी ने अपराध से जुड़े आँकड़े तो जारी कर दिए लेकिन मॉब लिंचिंग की रिपोर्ट नहीं जारी की है। सरकार ने पहले बेरोज़गारी के आँकड़े भी छुपाए थे, पर भारी दबाव के बाद इसे जारी करना पड़ा था। लगातार किसानों की आत्महत्याओं के बावजूद इसके आँकड़े तक तैयार नहीं किए जा रहे हैं। जीडीपी विकास दर तैयार करने में हेरफेर के आरोप लगते रहे हैं। इन आँकड़ों को सूचना के अधिकार यानी आरटीआई से पाने का रास्ता भी इसलिए मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि इसको लगातार कमज़ोर किया जा रहा है। पारदर्शिता यानी सबकुछ साफ़-साफ़ दिखने का दावा करने वाली सरकार को इन आँकड़ों से दिक़्क़त क्यों है?
मॉब लिंचिंग के आँकड़े क्यों छुपा रही है मोदी सरकार?
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- 22 Oct, 2019

सरकार ने अब मॉब लिंचिंग यानी पीट-पीट कर मारने के आँकड़े भी छुपा लिए! नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी ने अपराध से जुड़े आँकड़े तो जारी कर दिए लेकिन मॉब लिंचिंग की रिपोर्ट नहीं जारी की है।
एनसीआरबी ने मॉब लिंचिंग के आँकड़े ऐसे समय छुपा लिए हैं जब ऐसी घटनाएँ ख़ूब बढ़ी हैं और इसके लिए एजेंसी ने अलग से श्रेणी भी बनाई थी। मॉब लिंचिंग से हत्या, प्रभावशाली लोगों द्वारा हत्या, खाप पंचायतों द्वारा मारना और धार्मिक कारणों से हत्या की अलग श्रेणियाँ जोड़ी गई हैं। कुछ हद तक इन श्रेणियों को जोड़ने के कारण इन आँकड़ों को जारी करने में देरी भी हुई है। रिपोर्ट तय समय से एक साल बाद जारी हुई है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, एनसीआरबी के आँकड़े जुटाने वाले एक अधिकारी ने कहा, 'यह आश्चर्यजनक है कि यह आँकड़ा जारी नहीं किया गया है। यह आँकड़ा पूरी तरह तैयार था, पूरी तरह संकलित और विश्लेषण किया जा चुका था। सिर्फ़ उच्च स्तर के लोग ही यह जानते होंगे कि इसे क्यों जारी नहीं किया गया।'