सरकार ने अब मॉब लिंचिंग यानी पीट-पीट कर मारने के आँकड़े भी छुपा लिए! नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी ने अपराध से जुड़े आँकड़े तो जारी कर दिए लेकिन मॉब लिंचिंग की रिपोर्ट नहीं जारी की है। सरकार ने पहले बेरोज़गारी के आँकड़े भी छुपाए थे, पर भारी दबाव के बाद इसे जारी करना पड़ा था। लगातार किसानों की आत्महत्याओं के बावजूद इसके आँकड़े तक तैयार नहीं किए जा रहे हैं। जीडीपी विकास दर तैयार करने में हेरफेर के आरोप लगते रहे हैं। इन आँकड़ों को सूचना के अधिकार यानी आरटीआई से पाने का रास्ता भी इसलिए मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि इसको लगातार कमज़ोर किया जा रहा है। पारदर्शिता यानी सबकुछ साफ़-साफ़ दिखने का दावा करने वाली सरकार को इन आँकड़ों से दिक़्क़त क्यों है?