जिन लोगों ने 4 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के फ़ैसले के बाद यह मान लिया था कि अब दिल्ली सरकार के अधिकारों की स्पष्ट व्याख्या हो गई है या फिर जिन्होंने यह मान लिया था कि अब केंद्र के रास्ते उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार में टकराव नहीं होगा, उन्हें अब लग रहा होगा कि असल में ऐसा नहीं है। उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों की लड़ाई का निपटारा अभी भी नहीं हुआ है। अफ़सरों की नियुक्ति और तबादलों को लेकर अब तक टकराव था ही, अब ताज़ा टकराव वकीलों के पैनल को लेकर पैदा हो गया है।
उपराज्यपाल क्यों चाहते हैं कि दिल्ली दंगों के मुक़दमे में वकील केंद्र सरकार के हों?
- दिल्ली
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- 29 Jul, 2020

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फ़रवरी में हुए दंगों में दिल्ली सरकार की तरफ़ से पैरवी कौन करे, इस सवाल पर अब दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच खुलकर टकराव हो रहा है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फ़रवरी में हुए दंगों में दिल्ली सरकार की तरफ़ से पैरवी कौन करे, इस सवाल पर अब खुलकर टकराव हो रहा है। यों तो टकराव कोरोना को लेकर भी हुआ जब उपराज्यपाल ने हर मरीज़ को कोविड सेंटर भेजने की बात कही लेकिन तब सवाल प्रतिष्ठा का नहीं बना। अब टकराव नाक का सवाल बन गया है और ऐसा लगता है कि यह विवाद आसानी से हल होने वाला नहीं है।