हिंदी रंगमंच कई तरह के संकटों से लगातार जूझता रहा है और इनमें तीन संकट तो कई दशकों से मौजूद हैं- पहला है कि दर्शक नहीं है (यानी कम हैं), दूसरा है ऑडिटोरियम मंहगे हैं, तीसरा है अभिनेता लंबे समय तक नहीं टिकते यानी फिल्मों या टीवी/ वेबसीरिज में काम करने के लिए मुबंई भाग जाते हैं। पर दिल्ली के हिंदी रंगमंच पर अब चौथा संकट आ गया है कर यानी टैक्स का। कर बोझ का।
अब रंगमंच पर भी टैक्स टेररिज्म?
- दिल्ली
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- 9 Aug, 2024

रंगमंच, संगीत, नृत्य या दूसरे सांस्कृतिक आयोजनों के लिए इस पोर्टल पर आवेदन देना होगा और हर प्रस्तुति के लिए एक हजार रुपए का शुल्क देना होगा। क्या इस नियम के बाद पहले से ही तंग रंगमंच कैसे भार सह पाएगा?
पिछले दिनों भारत के संसद में टैक्स टेररिज्म (कर आतंकवाद) की काफी चर्चा हुई। पर दिल्ली रंगमंच के सामने जो नया संकट आया है वो सबसे दमनकारी किस्म का टैक्स टेररिज्म है क्योंकि इससे नाटकों और दूसरी प्रदर्शनकारी कलाओं की दुनिया इतनी बुरी तरह क्षत विक्षत होगी कि ठीक से बसे बिना ही उजड़ जाएगी। ये कुछ कुछ इसी तरह का मामला है जैसे शहरों में बस्तियां उजाड़ी जाती हैं या उन पर बुल़डोजर चलाए जाते हैं।