दिल्ली दंगों की जाँच कर रही पुलिस जिस तरह छात्रों और एक्टिविस्ट के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है, उससे भारतीय राज्य उत्पीड़न की अंधेरी रात में प्रवेश कर रहा है। दंगा गंभीर मामला है। दंगों में शामिल हर व्यक्ति की पहचान पूरी विश्वसनीयता से होनी चाहिए और उसे क़ानून का सामना करना चाहिए। पर हम इसके बदले देख रहे हैं कि सिविल सोसाइटी को कुचलने की सोची समझी और योजनाबद्ध रणनीति है। यदि हमें आज़ादी बचानी है तो यह समझना होगा कि दिल्ली में जो कुछ हो रहा है, उसमें क्या दाँव पर लगा हुआ है।
दिल्ली दंगा: यह किसकी पटकथा है कि हिंसा भड़काने वाले छुट्टा घूम रहे हैं, बुद्धिजीवी जेल में हैं?
- दिल्ली
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- 26 Sep, 2020

मशहूर लेखक और 'द इंडियन एक्सप्रेस' के कंट्रीब्यूटिंग एडिटर प्रताप भानु मेहता का यह लेख 'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपा है। पढ़ें, उसका हिन्दी अनुवाद।
ताप भानु मेहता अशोक विश्वविद्यालय के उप-कुलपति हैं। वे देश के अत्यंत सम्मानित चिंतक और बुद्धिजीवी है।