दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के पास 2019 में जब हिंसा हुई थी तो जेएनयू के छात्र शरजील इमाम पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा था। उनके साथ छात्र कार्यकर्ता आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा जरगर सहित कई को आरोपी बनाया गया था। इन्हें तब ऐसे विलेन के तौर पर पेश किया गया था जैसे इनके ख़िलाफ़ पुख्ता सबूत हो। लेकिन क्या सच में ऐसा था? क़रीब चार साल से वह जो सजा भुगत रहे हैं उसके लिए उन पर कितने पुष्ट आरोप लगाए गए? दिल्ली की अदालत के फ़ैसले से इन सवालों के जवाब मिलते हैं।
जामिया केस: कोर्ट क्यों बोला- शरजील को बली का बकरा बनाया गया?
- दिल्ली
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- 5 Feb, 2023
जामिया मिलिया इस्लामिया के पास हिंसा के लिए शरजील इमाम के जिस भाषण को ज़िम्मेदार ठहराया गया, उन पर तरह-तरह के आरोप लगाए गए, जानिए दिल्ली की अदालत ने उन्हें एक झटके में कैसे खारिज कर दिया।

शरजील इमाम के जिस भाषण को हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता रहा उसको लेकर दिल्ली की अदालत ने कहा कि असली गुनहगारों को पकड़ने के बजाए शरजील को बलि का बकरा बनाया गया। अदालत ने उस भाषण का ज़िक्र करते हुए यह भी कहा कि 'असहमति और कुछ नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का विस्तार है'।