दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के पास 2019 में जब हिंसा हुई थी तो जेएनयू के छात्र शरजील इमाम पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा था। उनके साथ छात्र कार्यकर्ता आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा जरगर सहित कई को आरोपी बनाया गया था। इन्हें तब ऐसे विलेन के तौर पर पेश किया गया था जैसे इनके ख़िलाफ़ पुख्ता सबूत हो। लेकिन क्या सच में ऐसा था? क़रीब चार साल से वह जो सजा भुगत रहे हैं उसके लिए उन पर कितने पुष्ट आरोप लगाए गए? दिल्ली की अदालत के फ़ैसले से इन सवालों के जवाब मिलते हैं।