जामिया मिलिया इस्लामिया के पास हिंसा के लिए शरजील इमाम के जिस भाषण को ज़िम्मेदार ठहराया गया, उन पर तरह-तरह के आरोप लगाए गए, जानिए दिल्ली की अदालत ने उन्हें एक झटके में कैसे खारिज कर दिया।
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने आज शनिवार को एक्टिविस्ट शरजील इमाम को जामिया हिंसा केस में बरी कर दिया। लेकिन शरजील अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने उन्हें कई और केसों में भी नामजद किया हुआ है। शरजील समेत 11 अन्य को भी अदालत ने बरी कर दिया।
15 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान जामिया नगर इलाक़े में हिंसा हुई थी। इस मामले में आरोप लगाया गया कि शरजील इमाम के भाषण से भीड़ को उकसाया गया था।
शुरुआत में जामिया लाइब्रेरी में घुसने से भी इनकार करने वाली इसी दिल्ली पुलिस ने अब कहा है कि वह विश्वविद्यालय के अंदर फँसे निर्दोष छात्रों को बचाने के लिए मजबूरी में घुसी थी।
नागरिकता क़ानून के विरोध में रविवार को हिंसा करने के आरोप में पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ़्तार किया है, लेकिन इसमें से कोई भी जामिया मिल्लिया इसलामिया का छात्र नहीं है। Satya Hindi