loader

जामिया हिंसा: जेएनयू छात्र शरजील इमाम की जमानत नामंजूर

दिल्ली की एक अदालत ने जेएनयू के छात्र और एक्टिविस्ट शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज कर दी। उनको दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया इलाक़े में कथित रूप से राजद्रोही भाषण देने और दंगे भड़काने के आरोप में 28 जनवरी, 2020 को बिहार से गिरफ्तार किया गया था। उनके ख़िलाफ़ फ़िलहाल असम, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और दिल्ली सहित पाँच राज्यों में विभिन्न मामले दर्ज हैं।

शरजील की ज़मानत को खारिज करते हुए दिल्ली के साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने कहा कि उनके भाषण की सामग्री सांप्रदायिक शांति और सद्भाव पर ख़राब प्रभाव डालने वाली है।

ताज़ा ख़बरें

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि '13 दिसंबर 2019 के भाषण को सरसरी और सीधे तौर पढ़ने से पता चलता है कि यह स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक/विभाजनकारी तर्ज पर है'। उन्होंने कहा कि मेरे विचार से भाषण का स्वर और स्वभाव सार्वजनिक शांति, समाज की शांति और सद्भाव को ख़राब करने वाला है। 

हालाँकि, इसके साथ ही अदालत ने यह भी पाया कि उनके भाषण से दंगाइयों को उकसाने और दंगे में शामिल होने के सबूत अपर्याप्त हैं और ये स्पष्ट नहीं हैं।

अदालत ने कहा, 'अभियोजन द्वारा न तो किसी चश्मदीद गवाह का हवाला दिया गया है और न ही रिकॉर्ड पर कोई अन्य सबूत है जो यह बताता है कि सह-आरोपी को उकसाया गया और आरोपी शरजील इमाम का भाषण सुनकर दंगा जैसा काम किया। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष के दावे की पुष्टि करने वाला कोई सबूत नहीं है कि कथित दंगा करने वाले यानी सह-आरोपी 13 दिसंबर 2019 को शरजील इमाम द्वारा संबोधित भीड़ का हिस्सा थे।'

15 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान जामिया नगर इलाक़े में 3,000 से अधिक लोगों की भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया था और कई वाहनों को आग लगा दी थी।

इस मामले में आरोप लगाया गया कि जामिया मिलिया इस्लामिया के बाहर शरजील इमाम के सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ भाषण से भीड़ को उकसाया गया था।

दिल्ली से और ख़बरें
इस मामले में अदालत ने कहा, 'किसी भी मामले में कल्पना के आधार पर या पुलिस अधिकारी के सामने अस्वीकार्य स्वीकारोक्ति के आधार पर खड़ी की गई अभियोजन की दलील की इमारत क़ानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है। एक बार जब आरोपी/सह-अभियुक्तों की कल्पनाशील सोच वाले बयान की क़ानूनी रूप से अस्वीकार्य नींव हटा दी जाती है, तो इस मामले में अभियोजन की दलील ताश के पत्तों की तरह टूटती हुई मालूम होती है।'
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें