दमन-अत्याचार के ख़िलाफ़ लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है और उसी के साथ-साथ विरोध भी। ये विरोध- प्रतिरोध देश को कहाँ ले जाएगा?
फिल्म इंडस्ट्री खड़ी हो गई है, कार्पोरेट जगत खड़ा हो रहा है। इसके पहले न्याय व्यवस्था और नौकरशाही से जुड़े लोगों ने भी आवाज़ें बुलंद की थीं। छात्र, किसान और मज़दूर तो सबसे पहले सड़कों पर आ चुके थे। क्या है इस असंतोष का मतलब? किसके विरोध में हो रही है ये लामबंदी? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट