सरकार पर असहमति व विरोध की आवाज़ को दबाने और आलोचनाओं को बर्दाश्त नहीं किए जाने के लगने वाले आरोपों के बीच भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने बहुत बड़ी बात कही है। उन्होंने क़ानूनी विद्वान जूलियस स्टोन के कथन का ज़िक्र करते हुए कहा, 'हर कुछ वर्षों में एक बार शासक को बदलने का अधिकार, अपने आप में तानाशाही के ख़िलाफ़ सुरक्षा की गारंटी नहीं होनी चाहिए'। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव, दिन-प्रतिदिन के राजनीतिक संवाद, आलोचना और विरोध की आवाज़ 'लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अभिन्न अंग' हैं।