विश्वविद्यालयों में प्रोफ़ेसरों का माओवाद से संबंध बताकर गिरफ़्तार क्यों किया जा रहा है? तेलंगाना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस से इस पर सवाल पूछा और एक तरह से अपने सवाल का जवाब भी दे दिया। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान ने कहा, 'आजकल पुलिस माओवाद से सहानुभूति रखने के नाम पर लोगों को गिरफ़्तार कर रही है। अब तो प्रोफ़ेसरों को भी बख्शा नहीं जा रहा है। क्या राज्य अपने अधीन आने वाली ताक़त का इस्तेमाल कर इस तरह असहमति को कुचलना चाहती है?'
हाई कोर्ट ने पूछा, असहमति को कुचलने का प्रयास कर रही है सरकार?
- तेलंगाना
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- 20 Jan, 2020
तेलंगाना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि आजकल पुलिस माओवाद से सहानुभूति रखने के नाम पर लोगों को गिरफ़्तार कर रही है। क्या वह असहमति को कुचलना चाहती है?

दरअसल, कोर्ट की यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई में आई है जिसमें उसमानिया विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफ़ेसर चिंताकिंदी कसीम को माओवादियों से संपर्क रखने के मामले में पुलिस ने गिरफ़्तार किया है। इस टिप्पणी के साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस को निर्देश दिया कि वे चार दिन के अंदर उन सबूतों को पेश करें जिनके आधार पर वे माओवादियों से संबंध बता रहे हैं। बता दें कि पुलिस ने कसीम को कोर्ट में तब पेश किया जब तेलंगाना सिविल लिबर्टीज़ कमिटी ने याचिका दायर की। शनिवार को पुलिस ने कसीम को विश्वविद्यालय कैंपस में उनके आधिकारिक आवास से गिरफ़्तार किया था। तब कोर्ट ने पुलिस को चेतावनी दी थी कि यदि कसीम को कोर्ट में पेश करने में विफल होते हैं तो उनके ख़िलाफ़ सीबीआई की जाँच बिठा देंगे। पुलिस ने रविवार को मुख्य न्यायाधीश के आवास पर कसीम को पेश किया। कसीम ने कहा कि वह अनुसूचित जाति से ज़रूर आते हैं लेकिन वह कभी माओवादी गतिविधि से जुड़े नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी लेखनी सरकार की आलोचना वाली रही है।