तेलंगाना विधानसभा ने एक ऐतिहासिक क़दम उठाते हुए पिछड़े वर्ग यानी ओबीसी के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण वाला विधेयक पारित किया है। यह निर्णय राज्य में हुए व्यापक जाति सर्वेक्षण के नतीजों के आधार पर लिया गया है, जिसमें पता चला कि तेलंगाना की कुल आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी क़रीब 56 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इस विधेयक के ज़रिए न केवल अपने चुनावी वादे को पूरा किया, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा क़दम उठाया। लेकिन इस फ़ैसले के व्यापक मायने क्या हैं? इसे गहराई से समझने से पहले यह जान लें कि आरक्षण से जुड़े विधेयक में क्या खास है।
तेलंगाना में 42% पिछड़ा वर्ग आरक्षण विधेयक पारित होने के मायने क्या?
- तेलंगाना
- |
- सत्य ब्यूरो
- |
- 18 Mar, 2025
तेलंगाना में जाति सर्वेक्षण के बाद 42% पिछड़ा वर्ग आरक्षण विधेयक पारित किया गया। यह फैसला सामाजिक संतुलन बनाएगा या राजनीति को नया मोड़ देगा? जानें विस्तार से।

दरअसल, तेलंगाना विधानसभा ने सोमवार को दो अहम विधेयकों को पारित कर पिछड़े वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों और ग्रामीण-शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में 42 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ़ कर दिया। इन विधेयकों के नाम हैं- ‘तेलंगाना पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (शैक्षणिक संस्थानों में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों के लिए आरक्षण) विधेयक, 2025’ और ‘तेलंगाना पिछड़ा वर्ग (ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में सीटों का आरक्षण) विधेयक, 2025’।
- OBC Reservation
- Telangana Reservation
- Revanth Reddy