loader

तिरूपति लड्डू विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए एसआईटी बनाई

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तिरूपति लड्डू विवाद की नए सिरे से जांच का आदेश दिया और पांच सदस्यीय नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया। एसआईटी में केंद्रीय जांच ब्यूरो, आंध्र प्रदेश पुलिस और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अधिकारी शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि इसमें दो सदस्य सीबीआई से, दो सदस्य आंध्र प्रदेश पुलिस से और एक सदस्य एफएसएसएआई से होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एसआईटी जांच की निगरानी सीबीआई निदेशक करेंगे।

जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कई याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए कहा कि हम अदालत को "राजनीतिक युद्ध के मैदान" के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देंगे। तमाम याचिकाओं में अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई थी।

ताजा ख़बरें

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से कहा कि अगर आरोपों में जरा भी सच्चाई है तो यह अस्वीकार्य है। उन्होंने सुझाव दिया कि एसआईटी की जांच की निगरानी केंद्र सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जा सकती है। महत्वपूर्ण यह है कि अदालत ने एसजी के सुझाव को मान लिया रि केंद्र का कोई वरिष्ठ अधिकारी जांच की निगरानी करे तो कोर्ट ने सीबीआई के डायरेक्टर पर यह जिम्मेदारी डाल दी। सरकार के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता था।

30 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तुषार मेहता से यह तय करने में मदद करने को कहा कि क्या राज्य द्वारा नियुक्त एसआईटी द्वारा जांच जारी रखी जानी चाहिए या एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की जानी चाहिए।

क्या है तिरुपति लड्डू विवाद

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में बँटने वाले लड्डू में इस्तेमाल किए जाने वाले घी में मछली के तेल और पशु के वसा का इस्तेमाल किए जाने का आरोप 18 सितंबर को लगा। कथित तौर पर इसकी पुष्टि एक निजी लैब की रिपोर्ट में हुई है। इस रिपोर्ट को लेकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने अपने प्रतिद्वंद्वी वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख और पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी की आलोचना की। नायडू के बेटे और आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश ने भी इसको लेकर बड़ा हमला किया है। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर हमारा सबसे पवित्र मंदिर है। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी प्रशासन ने तिरुपति प्रसादम में घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया।' जगनमोहन रेड्डी ने अगले दिन इसका खंडन किया।

गुजरात में केंद्र सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र या सीएएलएफ़ की प्रयोगशाला की 17 जुलाई की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। इस रिपोर्ट को सितंबर में जारी किया गया। इसमें कहा गया कि वाईएसआरसीपी के सत्ता में रहने के दौरान प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी में पशु वसा पाई गई।

रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि घी में मछली के तेल, गोमांस की चर्बी और एक अन्य चर्बी के अंश मिले हैं। जो आख़िर वाली चर्बी है वह एक क़रीब-क़रीब ठोस सफेद वसा उत्पाद है जो सूअर के मांस की चर्बी को पिघलाने से बनता है। विश्व हिंदू परिषद ने इसे गंभीर मुद्दा करार दिया है और तिरुपति के लड्डू में पशु वसा का इस्तेमाल करने वालों को सजा देने की मांग की है। भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने कहा, 'यह बात सामने आई है कि आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी के शासन में पवित्र तिरुपति लड्डू प्रसादम में गोमांस की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत पर सीधा हमला है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।'

तेलंगाना से और खबरें
इसके बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया। राजनीतिक आरोपों के दौर आंध्र प्रदेश में सत्ता पक्ष और विपक्षी जगनमोहन रेड्डी के बीच शुरू हो गये। फिर अयोध्या के मुख्य पुजारी ने भी बयान दिया कि राम मंदिर के कार्यक्रम में भी तिरुपति के लड्डू बांटे गये थे। इसके बाद कोर्ट में याचिकाएं दायर हुईं और अब कोर्ट ने इसमें दखल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई पर कहा था कि भगवान को राजनीति से दूर रखें। लेकिन किसी ने सुना नहीं। हिन्दू संगठन अब मांग कर रहे हैं कि सभी मंदिरों को विश्व हिन्दू परिषदों के हवाले किया जाना चाहिए, ताकि वो इनकी देखरेख ठीक से कर सके। जबकि आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण कह रहे हैं कि सनातन धर्म रक्षा बोर्ड बनाकर मंदिर उसे सौंप देने चाहिए। कुल मिलाकर लड्डू प्रसाद का मामला राजनीतिक रंग ले चुका है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

तेलंगाना से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें