दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) और बीजेपी ने दिन-रात एक किया हुआ है। ‘आप’ तो लोकसभा चुनाव में हार मिलने के बाद ही चुनाव मैदान में उतर आई थी। महिलाओं की बसों में मुफ्त सवारी के अलावा उसने 200 यूनिट तक फ्री बिजली, पानी के सारे पुराने बिल माफ़, बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा, किरायेदारों को प्री-पेड मीटर, सीसीटीवी, स्ट्रीट लाइट, वाई-फ़ाई और ऐसी ही कई घोषणाएं करके पहले ही चुनाव का बिगुल बजा दिया था। आज उसके पास अपनी घोषणाओं का पूरा भंडार है और इसे वे अपने पांच साल का काम बताकर जनता से वोट मांग रहे हैं।
दिल्ली: ‘आप’ को केजरीवाल के काम और बीजेपी को नागरिकता क़ानून से जीत की आस
- दिल्ली
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- 27 Jan, 2020

बीजेपी की हर संभव कोशिश यही है कि किसी भी तरह दिल्ली का विधानसभा चुनाव नागरिकता संशोधन क़ानून के मुद्दे पर हो जाए।
सच्चाई यह है कि दिल्ली में बीजेपी हो या कांग्रेस, दोनों के पास इन मुफ्त घोषणाओं का मुक़ाबला करने के लिए कोई जवाब ही नहीं है। न जाने क्यों इन पार्टियों के नेता जनता को यह नहीं समझा पा रहे हैं कि पिछले पांच सालों में दिल्ली में एक भी स्कूल नहीं खुला, एक भी कॉलेज नहीं खुला, एक भी नया फ्लाई ओवर का प्रोजेक्ट नहीं आया और न ही यह समझा पा रहे हैं कि मुफ्तखोरी के इस चक्कर में दिल्ली का विकास रुक गया है। अगर बीजेपी और कांग्रेस के नेता इस बात को कहते भी हैं तो जनता मुफ्त की सुविधाओं से इतनी आत्ममुग्ध नज़र आती है कि वह यह सब समझना ही नहीं चाहती।