8 फ़रवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार अब आख़िरी और निर्णायक मोड़ पर है। अरविंद केजरीवाल अकेले ही कमान संभाले हुए हैं और प्रचार के दस दिनों में 55 से ज़्यादा विधानसभा इलाक़ों में रोड शो कर चुके हैं। हालाँकि संजय सिंह से लेकर गोपाल राय तक और नेता भी एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं लेकिन यह सच्चाई है कि आम आदमी पार्टी में केजरीवाल के अलावा किसी का आकर्षण नहीं है और न ही कोई स्टार कैम्पेनर है। दूसरी तरफ़, बीजेपी ने अपने स्टार कैम्पेनरों की फौज चुनाव में उतारी हुई है। पीएम नरेंद्र मोदी दो सभाओं को संबोधित कर चुके हैं तो अमित शाह 50 सभाओं में बीजेपी का प्रचार कर चुके हैं। यूपी के फ़ायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ से लेकर त्रिपुरा के विप्लब देव तक सारे राज्यों के सीएम भी दिल्ली में जुटे हुए हैं। क़रीब दो सौ सांसदों को पूरी दिल्ली सौंप दी गई है ताकि अकेले केजरीवाल का सामना किया जा सके। बीजेपी के नए अध्यक्ष जे.पी. नड्डा तो उम्मीदवारों के कार्यालयों का उद्घाटन करने जैसे छोटे अवसरों पर भी पहुँच गए। कहने का मतलब यह है कि बीजेपी ने तो अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया है।