सोनी सोरी पर राजद्रोह केस का क्या नतीज़ा निकला? वही छत्तीसगढ़ की जानीमानी सामाजिक कार्यकर्ता जिनपर राजद्रोह का मुक़दमा चलाया गया था। जिन्होंने पुलिस हिरासत में कथित तौर पर अमानवीय प्रताड़नाएँ झेलीं। जिनकी ज़िंदगी के 11 साल तबाह हो गए। जिनका परिवार बिखर गया। और जिन बच्चों को एक अच्छी ज़िंदगी देने के लिए पढ़ाती थीं उनमें से अधिकतर बच्चे पढ़ाई छूटने के बाद माओवादी बन गए।
'राजद्रोह' से बरी होने के बाद कितनी बदली सोनी सोरी की ज़िंदगी?
- छत्तीसगढ़
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- 19 May, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून पर रोक लगा दी है। क्या इस क़ानून की ज़रूरत है? इसका आकलन छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी पर लगाए गए राजद्रोह के आरोपों से भी लगाया जा सकता है। वह आरोपों से बरी हो गईं, लेकिन ज़िंदगी तबाह हो गई।

2011 में जिस राजद्रोह के मुक़दमे ने उनकी ज़िंदगी को तबाह कर दिया उन आरोपों से उन्हें इसी साल मार्च में बरी कर दिया गया। यानी 11 साल जिन आरोपों से उनकी ज़िंदगी तबाह की गई वे आरोप दरअसल ग़लत लगाए गए थे। उन पर राजद्रोह के कुल छह मुक़दमे दर्ज किए गए थे। उन्हीं मामलों में 15 मार्च 2022 को दंतेवाड़ा की एक विशेष अदालत ने उन्हें बेगुनाह पाते हुए बाइज़्ज़त बरी कर दिया। इन मामलों में बरी हुए दो महीने हो भी गए हैं तो क्या उन्होंने इन 11 सालों में जो खोया वह अब लौट कर आ सकता है? इन राजद्रोह के मुक़दमों ने जो उनसे छीना, क्या उन्हें वापस मिल सकता है? आख़िर राजद्रोह जैसे मामले क्या बिना सबूत के ही उन पर लाद दिए गए थे? ऐसे हालात में सोनी सोरी कोर्ट के फ़ैसले के बाद कितनी खुश हैं?