इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ओयम भीम के पिता मंगू ओयम ने बताया कि ''सुरक्षा बलों ने उन्हें एक कोने में खड़ा कर दिया। जैसे ही उनमें से एक ने कहा कि वे जनता के आदमी हैं, उसे गोली मार दी गई। कुछ को पकड़ लिया गया और पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई। जब वे लोग शनिवार को लौटे तभी सभी को पता चला कि कौन-कौन मारा गया था।'' भीमा के परिवार में पत्नी और तीन महीने का बेटा है।
जोगा बारसे के भाई बारसे दुला ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कहा, ''मेरा भाई तेंदूपत्ता तोड़ने गया था। मुझे अगले दिन जारी फोटो से भाई की मौत के बारे में पता चला। वह शराबी था और बीमार रहता था। चूंकि वो हमारे साथ रह रहा था, इसलिए मैं यह अच्छी तरह जानता हूं कि वो किसी भी माओवादी ग्रुप का सदस्य नहीं था। मेरे भाई के पास कोई हथियार नहीं था।” जोगा बारसे के परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं।
पुलिस की कहानी
पुलिस ने गांव वालों की सारी बातों का खंडन कर दिया। बीजापुर के एसपी ने गांव वालों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि माओवादियों ने पहले हमारे दल पर गोलियां चलाईं और जवाबी कार्रवाई में वे लोग मारे गए। मारे गए लोगों की पहचान सरेंडर करने वाले बाकी नक्सलियों ने की। एसपी ने कहा- “अगर हम उन्हें मारना चाहते तो बाकी सारे लोगों को गिरफ्तार ही क्यों करते? जो लोग मारे गए उन्होंने पहले पुलिस पर गोलियां चलाईं। हमने वहां से कुछ वर्दियाँ भी बरामद की हैं जो उन्होंने पुलिस को देखकर बदल लीं थीं।”एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बस्तर डिवीजन में पेडिया गांव काफी हद तक माओवादियों के नियंत्रण में है। यह उनका गढ़ है। इसके अलावा अबूझमाड़ और दक्षिण बस्तर भी उनके गढ़ हैं। अधिकारी का दावा है कि बीजापुर में लगभग 3,000 माओवादी काडर हैं, जिनमें से 600 के पास हथियार होने की सूचना है।
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