नरेंद्र मोदी सरकार भले ही यह दावा करे कि उसने माओवादियों से सख़्ती से निपटा है और इन अतिवामपंथी विद्रोहियों का लगभग सफ़ाया हो गया है, सच यह है कि पिछले पाँच साल में माओवादी पहले से अधिक हुए हैं और उनकी तीव्रता भी अधिक रही है। यानी नरेंद्र मोदी सरकार के रहते हुए माओवादियों ने अधिक घातक हमले किए हैं, जिसमें सीआरपीएफ़ और दूसरे केंद्रीय सुरक्षा बलों को अधिक नुक़सान उठाना पड़ा है।