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पंजाब कांग्रेस में संकट के बाद क्या अब छत्तीसगढ़ में भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं? रिपोर्ट है कि राज्य से एक दर्जन से ज़्यादा विधायक दिल्ली पहुँचे हैं। हालाँकि राजनीतिक गहमागहमी है कि वे भूपेश बघेल के प्रति समर्थन जताने के लिए आए हैं, लेकिन दिल्ली आए विधायकों का दावा है कि उनकी यात्रा राहुल गांधी के राज्य के प्रस्तावित दौरे से जुड़ी है।
कांग्रेस के विधायकों की दिल्ली यात्रा को पार्टी में खटपट से जोड़कर इसलिए देखा जा रहा है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ कांग्रेस में इस पर घमासान मचा था। पिछले महीने यानी अगस्त में ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाक़ात की थी। ये दोनों नेता कोई और नहीं, बल्कि ख़ुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव थे। तब दोनों नेताओं ने एक के बाद एक कई बार राहुल गांधी से मुलाक़ात की थी और फिर आलाकमान द्वारा राज्य के विधायकों को दिल्ली तलब किया गया था।
वैसे, छत्तीसगढ़ में दिसंबर, 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तभी मुख्यमंत्री के नाम को लेकर जबरदस्त खींचतान हुई थी। मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों के बीच कांग्रेस हाईकमान ने बघेल को चुना था। बघेल के अलावा टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और चरणदास महंत मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे। यह भी चर्चा हुई थी कि ढाई साल में दूसरे दावेदार को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। हालांकि बघेल ढाई साल वाले किसी फ़ॉर्मूले से लगातार इनकार करते रहे हैं।
इसी बीच अब जब फिर से क़रीब 15 विधायक दिल्ली में हैं तो इसे नेतृत्व परिवर्तन विवाद से जोड़कर कयास लगाए जा रहे हैं। हालाँकि विधायकों का कुछ और ही कहना है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के रामानुजगंज सीट से पार्टी विधायक बृहस्पत सिंह ने कहा कि 'पार्टी के क़रीब 15-16 विधायक दिल्ली पहुँच चुके हैं और अलग-अलग जगहों पर ठहरे हुए हैं। राहुल जी का छत्तीसगढ़ दौरा प्रस्तावित है। हम अपने प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया जी के माध्यम से राहुल जी से अनुरोध करना चाहते हैं कि वह दौरे की अवधि को थोड़ा और बढ़ा दें ताकि सभी विधायकों को इसका लाभ मिल सके।'
उन्होंने आगे कहा, 'हम सिर्फ यही अनुरोध करने के लिए दिल्ली आए हैं और हम इस संबंध में गुरुवार को पुनिया सर से बात करेंगे। हमारी यात्रा को दूसरे तरीक़े से नहीं देखा जाना चाहिए।'
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी यात्रा का उद्देश्य बघेल को समर्थन व्यक्त करना था, उन्होंने कहा कि जब आलाकमान का साथ है, विधायकों का समर्थन है और मुख्यमंत्री अच्छा काम कर रहा है तो ऐसा कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि बघेल और टीएस सिंह देव के बीच अच्छे रिश्ते हैं।
जून 2021 में मुख्यमंत्री के रूप में बघेल के ढाई साल पूरे होने के बाद नेतृत्व बदलने की मांग ने जोर पकड़ा था।
तब टीएस सिंहदेव खेमे ने दावा किया था कि 2018 में आलाकमान ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री का फ़ॉर्मूला अपनाया गया था। हालाँकि, राज्य के कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया ने बार-बार इस बात से इनकार किया है कि 2018 में इस तरह का कोई समझौता हुआ था।
लेकिन ग़ौर करने वाली बात यह है कि टीएस सिंहदेव और उनके समर्थकों की नाराज़गी भी तब बढ़नी शुरू हुई जब भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बने क़रीब ढाई साल हो गए। उससे क़रीब दो महीने पहले से ही इसे लेकर चर्चा तेज़ थी कि क्या कांग्रेस हाईकमान मुख्यमंत्री बघेल को बदलेगा। तब टीएस सिंहदेव के कथित रूप से नाराज़ होने की ख़बरें छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों से आती रही थीं।
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