लीजिए, अब छत्तीसगढ़ में भी आरक्षण 72 फ़ीसदी तक बढ़ाने की घोषणा कर दी गई। यानी इसके लागू होने पर देश में सबसे ज़्यादा आरक्षण इसी राज्य में होगा। यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 50 फ़ीसदी की सीमा से 22 फ़ीसदी ज़्यादा है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा ओबीसी के आरक्षण को क़रीब दोगुना करने और अनुसूचित जाति के लिए एक फ़ीसदी आरक्षण बढ़ा देने की घोषणा करने से ऐसी स्थिति आई है। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस समारोह में इसकी घोषणा की।
छत्तीसगढ़ में आरक्षण पहुँचा 72%, दूसरे राज्यों में भी मचेगी होड़?
- छत्तीसगढ़
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- 16 Aug, 2019
अब छत्तीसगढ़ में भी आरक्षण 72 फ़ीसदी हो जाएगा। यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 50 फ़ीसदी की सीमा से 22 फ़ीसदी ज़्यादा है। क्या दूसरे राज्य भी राजनीतिक लाभ के लिए ज़्यादा आरक्षण नहीं देने लगेंगे?

बघेल सरकार के इस फ़ैसले के बाद पहले जहाँ राज्य में ओबीसी आरक्षण 14 फ़ीसदी था अब यह बढ़कर 27 फ़ीसदी हो जाएगा। एससी यानी अनुसूचित जाति के लिए भी एक फ़ीसदी आरक्षण बढ़ाया गया है। अब एससी के लिए 13 फ़ीसदी आरक्षण होगा। एसटी यानी अनुसूचित जनजाति के लिए राज्य में पहले से ही 32 फ़ीसदी आरक्षण है। अब इन तीनों वर्गों को जोड़ लें तो सरकारी नौकरियों और शिक्षा में कुल 72 फ़ीसदी आरक्षण हो जाएगा। यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 50 फ़ीसदी की सीमा से 22 फ़ीसदी ज़्यादा है। यदि सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत केंद्र के अनिवार्य ईडब्ल्यूएस कोटे को लागू कर दिया जाए तो आरक्षण 82 फ़ीसदी पहुँच जाएगा। हालाँकि मुख्यमंत्री ने इस 10 फ़ीसदी आरक्षण पर कोई फ़ैसला नहीं लिया है। बता दें कि पहले से तय नियमों के अनुसार ओबीसी के लिए 27 फ़ीसदी, एससी के लिए 15% और एसटी के लिए 7.5% का आरक्षण का प्रावधान है।