डॉ. वेद प्रताप वैदिक भारत के वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक एवं हिंदीप्रेमी हैं। डॉ. वैदिक अनेक भारतीय व विदेशी शोध-संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर रहे हैं।
ऑक्सीजन की कमी के कारण नाशिक के अस्पताल में हुई 24 लोगों की मौत दिल दहलानेवाली ख़बर है। ऑक्सीजन की कमी की ख़बरें देश के कई शहरों से आ रही हैं। लेकिन बंगाल में उनका चुनाव अभियान पूरी बेशर्मी से जारी है।
यह प्रसन्नता की बात है कि हरिद्वार में चल रहे कुंभ-मेले को स्थगित किया जा रहा है। यहाँ पहले शाही स्नान पर 35 लाख लोग जुटे थे। 27 अप्रैल तक चलनेवाले इस कुंभ में अभी लाखों लोग और भी जुटते यानी हज़ारों-लाखों लोग कोरोना के नए मरीज बनते।
अमेरिका की मेरीलैंड विधानसभा स्वास्तिक पर विधेयक को क़ानून बनाने की तैयारी में है। विधेयक में ‘स्वास्तिक’ को घृणास्पद चिन्ह बताया गया है और इसे कपड़ों, घरों, बर्तनों, बाज़ारों या कहीं भी इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है।
सर्वोच्च न्यायालय की यह बात तो बिल्कुल ठीक है कि भारत का संविधान नागरिकों को अपने ‘धर्म-प्रचार’ की पूरी छूट देता है और हर व्यक्ति को पूरा अधिकार है कि वह जिसे चाहे, उस धर्म को स्वीकार करे।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफ़ा काफ़ी पहले ही हो जाना चाहिए था। लेकिन हमारे नेताओं की खाल इतनी मोटी हो चुकी है कि जब तक उन पर अदालतों का डंडा न पड़े, वे टस से मस होते ही नहीं।
केंद्र सरकार के आयकर-विभाग ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर छापे मार दिए हैं और उनमें से कुछ को गिरफ्तार भी कर लिया है। चुनावों के दौरान इनको लेकर ख़बरें उछलवाने का उद्देश्य क्या है?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पत्र के जवाब में पत्र लिखा, यह अपने आप में उल्लेखनीय बात है लेकिन 23 मार्च के पत्र का जवाब देने में उन्हें एक हफ्ता लग गया, यह भी विचारणीय तथ्य है।
सर्वोच्च न्यायालय ने देश की महिलाओं के पक्ष में एक ऐतिहासिक फ़ैसला कर दिया है। उसने भारत की फौज में महिलाओं को पक्की नौकरियाँ देने का प्रावधान कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के हिसाब से कल तीन महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं। एक तो अलास्का में अमेरिकी और चीनी विदेश मंत्रियों की झड़प, दूसरी मास्को में तालिबान-समस्या पर बहुराष्ट्रीय बैठक और तीसरी अमेरिकी रक्षा मंत्री की भारत-यात्रा।
केंद्र सरकार अब ऐसा क़ानून बनाने पर उतारू हो गई है, जो दिल्ली की केजरीवाल-सरकार को गूंगा और बहरा बनाकर ही छोड़ेगी। दिल्ली की यह सरकार उप-राज्यपाल की सरकार होगी!
सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐसे क़ानून पर पुनर्विचार की याचिका स्वीकार कर ली है, जिसका उद्देश्य था- भारत के मंदिर-मसजिदों के विवादों पर हमेशा के लिए तालाबंदी कर देना। अब इस क़ानून को एक वकील अश्विन उपाध्याय ने अदालत में चुनौती दी है।
हमारा सर्वोच्च न्यायालय अब नेताओं से भी आगे निकलता दिखाई दे रहा है। उसने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे बताएँ कि सरकारी नौकरियों में जो आरक्षण अभी 50 प्रतिशत है, उसे बढ़ाया जाए या नहीं? कौन राज्य है, जो यह कहेगा कि उसे न बढ़ाया जाए?