यह प्रसन्नता की बात है कि हरिद्वार में चल रहे कुंभ-मेले को स्थगित किया जा रहा है। यहाँ पहले शाही स्नान पर 35 लाख लोग जुटे थे। 27 अप्रैल तक चलनेवाले इस कुंभ में अभी लाखों लोग और भी जुटते यानी हज़ारों-लाखों लोग कोरोना के नए मरीज बनते। यदि यह कुंभ चलता रहता तो कोरोना भारत के गाँव-गाँव में फैल जाता। ग़रीब लोगों का मरण हो जाता। दिल्ली, मुंबई, इंदौर और पुणे जैसे शहरों में रोगियों को पलंग, दवाइयाँ और ऑक्सीजन के बंबे नहीं मिल पा रहे हैं तो इन करोड़ों गंगाप्रेमी ग्रामीणों का हाल क्या होता? भारत भयंकर संकट में फँस जाता। इस नाजुक मौक़े पर इन अखाड़ों के मुखियाओं ने बहुत साहस दिखाया है। वे पाखंड में नहीं फँसे।